उत्तराखंड story of surkanda devi temple in uttarakhand

नवरात्र पर देवभूमि के इस शक्तिपीठ में जरूर जाएं, यहां जागृत रूप में रहती हैं मां भगवती

नवरात्र पर मां भगवती के एक और रूप सुरकंडा मंदिर के बारे में हम आपको बताने जा रहे हैं। जानिए आखिर इस मंदिर की खासियत क्या है।

surkanda devi temple: story of surkanda devi temple in uttarakhand
Image: story of surkanda devi temple in uttarakhand (Source: Social Media)

: देवभूमि कहे जाने वाले उत्तराखंड में जहां चार धाम मौजूद है,तो यहां कई मंदिर और सिद्धपीठ भी है । पौराणिक कथाओं में कहा गया है कि जहां जहां मां सती के शरीर के अंग गिरे है वहां वहां सिद्ध पीठ की संरचना हुई है। उत्तराखंड में कई ऐसे सिद्धपीठ है जो भक्तों के लिए आस्था का केंद्र है। जहां जाकर सिर्फ सिर झुकाने भर से मां सबकी मुरादें पूरी कर देती है।ऐसे ही प्रमुख सिद्धपीठों में शामिल है मां सुरकंडा देवी का मंदिर। उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल में सुरकुट पर्वत पर स्थित ये भव्य मंदिर स्थापित है। भौगोलिक दृष्टि से ये मंदिर धनोल्टी और काणाताल के बीच स्थित है। ये इकलौता ऐसा सिद्धपीठ है जहां गंगा दशहरे के मौके पर मेला लगता है। मान्यता है कि जब राजा भागीरथ गंगा को पृथ्वी पर लाए तो उस समय शिव की जटाओं से गंगा की एक धारा निकलकर सुरकुट पर्वत पर गिरी। इसके प्रमाण के रूप में मंदिर के नीचे की पहाड़ी पर जलस्रोत फूटता है।

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यहां भक्तों को प्रसाद के रूप में रौंसली(वानस्पतिक नाम टेक्सस बकाटा) की पत्तियां दी जाती है जो औषधीय गुणों भी भरपूर होती हैं। माना जाता है कि इन पत्तियों से घर में सुख समृधि आती है। क्षेत्र में इसे देववृक्ष का दर्जा हासिल है।वैसे तो पूरे साल में कभी भी सुरकंडा मंदिर में मां के दर्शन कर पुण्य कमाया जा सकता है लेकिन गंगा दशहरे और नवरात्र पर मां के दर्शनों का विशेष महत्व माना जाता है। आस्था है कि इन दिनों में मां के दर्शन करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है और सभी मनोकामना मां पूरी करती है। यही वजह है पूरे साल के मुकाबले गंगा दशहरे और नवरात्र के दैरान मंदिर में मां के दर्शनों के लिए भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। चंबा-मसूरी रोड पर कद्दूखाल कस्बे से लगभग डेढ़ किमी पैदल चढ़ाई चढ़ कर मां सुरकंडा मंदिर में पहुंचा जा सकता है।

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यह मंदिर समुद्रतल से करीब तीन हजार मीटर की ऊंचाई पर बना है। मंदिर में मां दुर्गा के एक रूप की स्थापना की गई है। नौ देवी के रूप में ये मंदिर लोगों की श्रद्धा का केंद्र बना हुआ है। सुरकंडा देवी मंदिर 51 सिद्ध शक्ति पीठों में से एक है, जहां देवी काली की प्रतिमा प्रतिष्ठित है। मंदिर की दिव्यता, भव्यता और प्राचीनता के उल्लेख केदारखंड और स्कन्दपुराण में भी मिलते है। मां का ये मंदिर ठीक पहाड़ की चोटी पर है और घने जंगलों से घिरा हुआ है। इस स्थान से उत्तर दिशा में हिमालय का सुन्दर दृश्य दिखाई देता है। मंदिर परिसर से सामने बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री अर्थात चारों धामों की पहाड़ियां नजर आती हैं। यह एक ऐसा नजारा है जो कि दुर्लभ है। इसके अलावा मंदिर में भक्त को मिलने वाला प्रसाद भी अपने आप में काफी खास होता है।