उत्तराखंड jaswant singh rawat movie teaser 72 hours

हम लौटें न लौटें...हमारी कहानियां जरूर लौटेंगी ! शहीद जसवंत सिंह रावत की फिल्म का टीजर देखिये

उत्तराखंड के वीर सपूत शहीद जसवंत सिंह रावत पर एक फिल्म तैयार हो रही है। इसका डिजिटल फिल्म टीजर लॉन्च कर दिया गया है।

उत्तराखंड न्यूज: jaswant singh rawat movie teaser 72 hours
Image: jaswant singh rawat movie teaser 72 hours (Source: Social Media)

: उत्तराखंड के वीर सपूत जसवंत सिंह रावत, जिन्होंने अकेले दम पर 300 चीनी सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया था। उनकी शौर्यगाथा पर एक फिल्म लगभग तैयार है। इस फिल्म का पहला डिजीटल फिल्म टीजर भी जारी कर दिया गया है। फिल्म को ‘72 आवर्स मारट्यर हू नेवर डाइड’ नाम दिया गया है। जेएसआर प्रोडक्शन हाउस ने शहीद जसवंत सिंह रावत की जिंदगी पर ये फिल्म तैयार की है। इस फिल्म के स्क्रिप्ट राइटर अविनाश ध्यानी हैं। श्रीनगर गढ़वाल के ऋषि भट्ट ने इस फिल्म में संवाद लिखे हैं और अभिनय भी किया है। अब इस फिल्म का डिजिटल फिल्म टीजर भी रिलीज कर दिया गया है। आपको जानकर हैरानी होगी कि फिल्म में वास्तविकता दिखाने के लिए इसकी शूटिंग उत्तराखंड में ही करीब 7 हजार फीट की ऊंचाई पर भी की गई है। इसके अलावा देहरादून के एफआरआई में भी इस फिल्म की कुछ शूटिंग हुई थी। करीब एक साल की शूटिंग के बाद अब फिल्म लगभग तैयार है।

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खबर है कि फिल्म को 18 जनवरी 2019 के दिन रिलीज किया जाएगा। जाहिर सी बात है कि आज की पीढ़ी भी उत्तराखंड के उस वीर सपूत से रू-ब-रू होगी, जिसने 72 घंटे अकेले लड़कर चीनी सेना को धूल चटाई थी।

ये कहानी 1962 में भारत और चीन के बीच के युद्ध की है। इस युद्ध में 72 घंटे तक एक जवान बॉर्डर पर टिका रहा था। जसवंत सिंह रावत ने अकेले बॉर्डर पर लड़कर 24 घंटे चीन के सैनिकों को रोककर रखा था। चीनी सेना ने अरुणाचल प्रदेश के रास्ते भारत पर हमला कर दिया था। चीन का भारत के इस क्षेत्र पर कब्जा करने का उद्देश्य था। इस दौरान सेना की एक बटालियन की एक कंपनी नूरानांग पुल की सुरक्षा के लिए तैनात की गई। इस कंपनी में जसवंत सिंह भी शामिल थे। चीन की सेना भारत पर लगातार हावी होती जा रही थी। इस वजह से भारतीय सेना ने गढ़वाल राइफल की चौथी बटालियन को वापस बुला लिया गया। मगर इसमें शामिल जसवंत सिंह, गोपाल गुसाई और लांस नायक त्रिलोकी सिंह नेगी वापस नहीं लौटे।

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ये तीनों सैनिक एक बंकर से लगातार फायर कर रही चीनी मशीनगन को छुड़ाना चाहते थे। तीनों जवान चट्टानों में छिपकर भारी गोलीबारी से बचते हुए चीन की सेना के बंकर तक आ पहुंचे। इसके बाद सिर्फ 15 यार्ड की दूरी से इन्होंने हैंडग्रेनेड फेंका और चीन की सेना के कई सैनिकों को मारकर मशीनगन छीन लाए। ये ही वो पल था कि इस लड़ाई की दिशा ही बदल गई। चीन का अरुणाचल प्रदेश को जीतने का सपना पूरा नहीं हो पाया। इस गोलीबारी में त्रिलोकी सिंह नेगी और गोपाल गुसाईं मारे गए। जसवंत सिंह को चीन की सेना ने घेर लिया और उनका सिर काटकर ले गए। शहीद जसवंत सिंह का अरूणाचल प्रदेश में मंदिर भी बनाया गया है। उनका प्रमोशन होता है और सेना के 5 जवान उनकी सेवा में लगे रहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कहा जाता है कि शहीद होने के बाद भी जसवंत सिंह रावत देश की रक्षा में तैनात हैं।

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