उत्तराखंड Good news for unemployed in uttarakhand

उत्तराखंड में 55,717 युवाओं को मिलेगा रोजगार, NCDC से मिलेंगे 3,340 करोड़ रुपये

उत्तराखंड में युवाओं को रोजगार से जोड़ने के लिए केंद्र सरकार और उत्तराखंड सरकार द्वारा जबरदस्त पहल की जा रही है।

उत्तराखंड: Good news for unemployed in uttarakhand
Image: Good news for unemployed in uttarakhand (Source: Social Media)

: उत्तराखंड में सहकारी समितियों के माध्यम से अगले 5 वर्षों में खेती-किसानी का कायाकल्प करने की पुख्ता तैयारियां की जा रही हैं। रोजगार के अवसर उत्पन्न करने, पलायन को रोकने और किसानों की आय को दोगुना करने के लिए जल्द ही राज्य समेकित सहकारी विकास परियोजना शुरू होने जा रही है। इसके लिए राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम द्वारा 3,340 करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। ‘‘खेत से बाजार तक’’ की रणनीति के तहत बनाई गई योजना की गतिविधियों से सीधे या परोक्ष तौर पर प्रदेश के 50 लाख लोगों को फायदा पहुंचेगा। जबकि 55,717 लोगों को रोजगार मिलेगा। उत्तराखंड के सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत के निर्देश पर उत्तराखण्ड में महत्वाकांक्षी योजना की रूपरेखा तैयार की गई है। पिछले काफी वक्त से इस पर होमवर्क किया जा रहा था। मुख्यमंत्री ने सहकारिता, कृषि, उद्यान, दुग्ध, मत्स्य, पशुपालन सहित अन्य संबंधित विभागीय अधिकारियों के साथ काफी मंथन के बाद इस योजना को मंजूरी दी। आगे जानिए कि किस तरह से युवाओं को रोजगार से जोड़ा जाएगा।

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इसमें केंद्र सरकार द्वारा भी महत्वपूर्ण सहयोग किया जा रहा है। एनसीडीसी ने 3340 करोड़ रूपए की धनराशि स्वीकृत की है। सहकारिता के माध्यम से इस प्रकार की समेकित विकास परियोजना शुरू करने वाला उत्तराखण्ड देश का पहला राज्य है। जल्द ही इसे लॉन्च किया जाएगा। परियोजना के क्रियान्वयन से 11,90,707 लोग सीधे तौर पर जबकि 47,62,828 लोग परोक्ष तौर पर लाभान्वित होंगे। इसी तरह 21,897 लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार और 33,820 लोगों को अप्रत्यक्ष रोजगार मिलेगा। सहकारिता विभाग द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक परियोजना के अंतर्गत बहुद्देशीय प्राथमिक कृषि ऋण सहकारी समितियों (एम-पैक्स) के इन्फ्रास्ट्रक्चर का सुदृढ़ीकरण और डिजिटाईजेशन होगा। इन समितियों के माध्यम से छोटी-छोटी जोत के किसानों के साथ ही बंजर भूमि को शामिल करते हुए क्लस्टर आधार पर सामूहिक खेती की जाएगी। एम-पैक्स को ही खरीद केंद्र के तौर पर विकसित किया जाएगा जहां स्थानीय उत्पादों के भण्डारण और खरीद की व्यवस्था होगी।

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उत्तराखंड की निष्क्रिय क्रय-विक्रय सहकारी समितियों को पुनर्जीवित किया जाएगा। भेड़-बकरी पालकों के लिए अलग से त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा गठित कर लिया गया है। लगभग 10 हजार भेड़ व बकरी पालकों को संगठित किया गया है। मीट उत्पादन को आधुनिक ढंग से विकसित किया जाएगा और हिमालयन मीट के नाम से ब्राण्डिंग की जाएगी। इसके अलावा डेयरी विकास के तहत 4500 दुग्ध सहकारी समितियों के माध्यम से पशुपालकों को 5 से 10 इकाई देकर दुग्ध उत्पादन में वृद्धि की जाएगी। मत्स्य उत्पादन के लिए भी त्रि-स्तरीय सहकारी ढांचा तैयार किया गया है। मत्स्य पालकों को ट्राउट फार्मिंग के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। इसके लिए अनुकूल स्थानों पर तालाब निर्माण किया जाएगा। उत्पादन के वितरण व परिवहन का दायित्व केंद्रीय व शीर्ष संस्था का होगा। परियोजना से किसानों को उनके उत्पादों का उचित मूल्य मिलेगा, बंजर व अनुपयोगी कृषि भूमि का उपयोग हो सकेगा। कोल्ड स्टोरेज, वेल्यू एडीशन, बैकवर्ड व फारवर्ड लिकेंज की स्थापना सुनिश्चित की जाएगी। ग्रामीणों को आधुनिक बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध करवाना, पर्यटन व होम-स्टे से रोजगार सृजन भी योजना में शामिल किया गया है। मुख्यमंत्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने योजना की स्वीकृति के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय कृषि राधामोहन का आभार व्यक्त किया है।