: सरकारी सेवाओं पर ठाठ फरमा रहे पूर्व मुख्यमंत्रियों की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं....अब मुफ्तखोरी नहीं चलेगी, क्योंकि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार के उस फैसले को अवैध और असंवैधानिक करार दिया है, जिसके तहत पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन मुफ्त आवास और अन्य सुविधाएं देने का प्रावधान किया गया था। दरअसल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री भले ही अब पद पर ना हों, लेकिन सरकारी सेवाओं का मोह इनसे अब तक नहीं छूट पाया है, लेकिन ये अब नहीं चलेगा। टाइम्स ऑफ इंडिया में छपी खबर के मुताबिक सरकारी कोठियों, बंगलों से लेकर दूसरी सुविधाओं पर खर्च हुए करोड़ों रुपये अब पूर्व मुख्यमंत्रियों से वसूले जाएंगे। सूबे के पूर्व मुख्यमंत्रियों से किराए के लगभग 16 करोड़ रुपये वसूले जाएंगे। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को आदेश दिया है कि वो पूर्व मुख्यमंत्रियों से किराए और अन्य बकायों की वसूली करे…
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कोर्ट के आदेश के बाद इन मुख्यमंत्रियों को 6 महीने के भीतर बकाया रकम जमा करानी होगी। सिर्फ किराया ही नहीं, किराए के अलावा अन्य मदों में खर्च किए गए करीब 13 करोड़ रुपये की वसूली भी इनसे की जाएगी। इन अलग-अलग खर्चों में मुख्य तौर पर बिजली, पानी, फ्यूल, फोन बिल, यात्राओं पर खर्च और स्टाफ की सैलरी पर हुए खर्च शामिल हैं। अन्य मदों पर खर्च हुए करीब 13 करोड़ रुपये की वसूली भी पूर्व मुख्यमंत्रियों से की जाएगी।आपको बता दें कि देहरादून के एक एनजीओ ने इस संबंध में एक याचिका हाईकोर्ट में लगाई थी, इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस रमेश रंगनाथन और जस्टिस रमेश चंद्र खुल्बे की बेंच ने की। कोर्ट ने सरकार से एक बार और किराए की गणना करने को कहा है इसके बाद 6 महीने के अंदर इस किराए की वसूली का आदेश दिया है।
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अब बात करते हैं सूबे के देनदार पूर्व मुख्यमंत्रियों की...इनमें सबसे ज्यादा बकाया पूर्व मुख्यमंत्री भगत सिंह कोश्यारी पर है.... भगत सिंह कोश्यारी पर करीब 3 करोड़, भुवन चंद्र खंडूरी पर 2.8 करोड़, एनडी तिवारी पर 2.3 करोड़, रमेश पोखिरियाल निशंक पर 2.1 करोड़, विजय बहुगुणा पर 1.1 करोड़ और नित्यानंद स्वामी पर 1.5 लाख रुपये बाकी हैं। पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया किराए की रकम राज्य सरकार ने तय कर ली है और उसे बतौर ऐफिडेविट कोर्ट के समक्ष रखा है। ये हाईकोर्ट का एक बड़ा फैसला है, क्योंकि बात जब आम लोगों की होती है तो उनसे वसूली के लिए सरकारी विभाग बिजली-पानी काट कर वसूली कर लेते हैं, लोगों को ज्यादा मोहलत भी नहीं दी जाती, लेकिन बड़े बकायेदार...जो कि सूबे के पूर्व मुख्यमंत्री रहे हैं उनसे वसूली करने में प्रदेश सरकार कितनी कामयाब हो पाती है अब ये देखना होगा।