उत्तराखंड story of mahasu devta of jaunsar bhabar uttarakhand

देवभूमि में ये चमत्कार है.. यहां 'महाशिव' का जलाभिषेक कर गायब हो जाती है जलधारा

महासू यानि महाशिव जौनसार-बावर के साथ ही हिमाचल के भी ईष्ट देव हैं...कहा जाता है कि इस मंदिर से कभी कोई निराश होकर नहीं जाता।

महासू देवता: story of mahasu devta of jaunsar bhabar uttarakhand
Image: story of mahasu devta of jaunsar bhabar uttarakhand (Source: Social Media)

: देवभूमि उत्तराखंड चमत्कारों की भूमि है...माना जाता है कि यहां के कण-कण में महाशिव का निवास है...तभी तो यहां के मंदिर लाखों श्रद्धालुओं की आस्था के केंद्र हैं। भगवान शिव का ऐसा ही एक मंदिर है जनजातीय क्षेत्र जौनसार-बावर में, जिसे हम महासू देवता के मंदिर के रूप में जानते हैं। ये मंदिर चकराता के पास हनोल गांव में टोंस नदी के पूर्वी तट पर स्थित है। इस मंदिर का स्थापत्य जितना अद्भुत है, उतनी ही अनोखी हैं इस मंदिर से जुड़ी मान्यताएं। महासू मंदिर के भीतर जल की धारा निकलती है, लेकिन ये जल कहां से आता है किसी को नहीं पता। शिव का जलाभिषेक कर ये जलधारा गायब हो जाती है, इस जल को मंदिर में प्रसाद के रूप में दिया जाता है। मंदिर के गर्भगृह में एक दिव्य ज्योत सदैव जलती रहती है। कहा जाता कि पांडव लाक्षागृह से निकल कर इसी स्थान पर आए थे, यही वजह है कि हनोल का मंदिर श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। महासू देवता मंदिर में एक अनोखी परंपरा भी निभाई जाती है, मंदिर में हर साल दिल्ली से राष्ट्रपति भवन की तरफ से नमक भेंट किया जाता है।

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महासू देवता असल में 4 देवताओं का सामूहिक नाम है, भगवान शिव के रूप में यहां चार भाईयों को पूजा जाता है। चारों महासू भाइयों के नाम बासिक महासू, पबासिक महासू, बूठिया महासू (बौठा महासू) और चालदा महासू है, जो सभी बाबा भोलेनाथ के ही रूप हैं। इनमें बासिक महासू बड़े हैं, जबकि बौठा महासू, पबासिक महासू, चालदा महासू दूसरे तीसरे और चौथे नंबर पर हैं। चारों देवताओं के जौनसार बावर में चार छोटे-छोटे पुराने मंदिर भी स्थित है। महासू मंदिर में प्रवेश के 4 दरवाजे हैं। हर प्रवेश द्वार का अपना अलग महत्व है। कहा जाता है कि पांडवों ने घाटा पहाड़ के पत्थरों को ढोकर विश्वकर्मा जी से हनोल मंदिर का निर्माण कराया था। महासू देवता के भक्त पूरे देश में हैं। महासू मंदिर के पूजारी बताते हैं, कि मंदिर में हर साल दिल्ली से गूगल धूप डाक से भेजी जाती है, लेकिन ये कौन भेजता है इस बारे में किसी को नहीं पता। यहां महासू देवता को न्याय का देवता मान कर पूजा जाता है। जौनसार बावर के आराध्य महासू देवता पर हिमाचल, जौनपुर, टिहरी गढ़वाल के लोग अटूट श्रद्धा रखते हैं और न्याय की गुहार लगाते हैं। कहते हैं कि यहां जो मुराद मांगी जाती है, उसे महासू यानि महाशिव जरूर पूरा करते हैं, यही वजह है कि अब महासू मंदिर को पांचवे धाम का दर्जा देने की मांग की जा रही है।