उत्तराखंड sem mukhem temple mystry stone

देवभूमि में यहां मौजूद है वो पत्थर..जो पूरी ताकत से नहीं बल्कि एक अंगुली से हिलता है

सेम मुखेम मंदिर के पास एक विशालकाय पत्थर है, जो कि ताकत से नहीं, सिर्फ एक अंगुली से हिलता है..ये अनोखी खूबी ही इस पत्थर को खास बनाती है।

उत्तराखंड: sem mukhem temple mystry stone
Image: sem mukhem temple mystry stone (Source: Social Media)

: देवभूमि उत्तराखंड साधकों की भूमि है...चमत्कारों की भूमि है, यहां आज भी प्रकृति के ऐसे चमत्कार देखने को मिलते हैं कि सिर श्रद्धा से झुक जाता है...यहां ना तर्क काम आते हैं और ना ही विज्ञान...लेकिन मन में आस्था हो तो आप खुद ये महसूस करेंगे कि विज्ञान से परे भी कोई अलौकिक शक्ति है, जो दुनिया का संचालन कर रही है...चमत्कृत कर देने वाला ऐसा ही एक धाम है टिहरी में स्थित सेम-मुखेम मंदिर, जो कि लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का प्रतीक है, लेकिन आज हम बात करेंगे मंदिर के पास मौजूद ऐसे विशालकाय पत्थर की, जिसकी अनोखी खूबी के सामने विज्ञान भी नतमस्तक है। ये पत्थर खूब जोर लगाने के बाद भी नहीं हिलता, लेकिन मन में श्रद्धा हो तो इसे केवल एक अंगुली से हिलाया जा सकता है। चलिए अब आपको बताते हैं कि ये पत्थर खास क्यों है। दरअसल इस विशाल पत्थर को आप खूब ताकत लगाने के बाद भी हिला नहीं सकते, लेकिन आश्चर्य की बात है कि जैसे ही आप इसे अंगुली से छूते हैं तो ये विशालकाय पत्थर हिलने लगता है।

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स्थानीय लोग इसे भीम का पत्थर भी मानते हैं। जो भी श्रद्धालु सेम मुखेम आते हैं, वो इस चमत्कारी पत्थर पर जोरआजमाइश करने जरूर आते हैं। अपनी अनोखी खासियत के चलते इस पत्थर ने विज्ञानियों को भी हैरान किया हुआ है। प्रतापनगर में ढुगढुगी धार के पास 7 हजार फीट की ऊंचाई पर सेम मुखेम में भगवान श्री कृष्ण नागराज के स्वरूप में विराजमान हैं। मंदिर के पास मौजूद चमत्कारी पत्थर को देखने के लिए लोगों को 1 किलोमीटर की अतिरिक्त दूरी तय करनी पड़ती है। पुराणों में कहा गया है कि अगर किसी की कुंडली में काल सर्प दोष है, तो इस मंदिर में आने से उसकी कुंडली के इस दोष का निवारण हो जाता है। कहा जाता है कि द्वापर युग में कालिया नाग की प्रार्थना पर भगवान श्रीकृष्ण द्वारका छोड़कर सेम मुखेम में विराजमान हुए, आज भी यहां श्रीकृष्ण नागराजा के रूप में दर्शन देते हैं।