देहरादून: मसूरी को पहाड़ों की रानी का खिताब यूं ही नहीं मिला है। यहां की नैसर्गिक खूबसूरती पर्यटकों को शांति देती है, उन्हें लुभाती है और अनजाने ही अपना बना लेती है। साल दर साल मसूरी आने वाले पर्यटकों की तादाद बढ़ रही है। शासन भी पर्यटकों को सुविधाएं देने के लिए नई-नई योजनाएं बना रहा है। सबकुछ ठीक रहा तो जल्द ही सैलानी दून से मसूरी तक का सफर 13 मिनट में पूरा कर सकेंगे। अब आप सोचेंगे कि क्या पर्यटक उड़कर मसूरी जाएंगे, जी हां कुछ ऐसा ही समझ लीजिए। पर्यटकों को उड़कर मसूरी पहुंचना होगा, वो भी रोपवे से। उत्तराखंड कैबिनेट ने दून-मसूरी रोप-वे परियोजना को हरी झंडी दिखा दी है, सब ठीक रहा तो अगले तीन साल में पर्यटक हवा से बातें करते हुए दून से मसूरी पहुंचते नजर आएंगे। उत्तराखंड में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया ये महत्वपूण कदम है। मसूरी में हर साल पर्यटकों की संख्या में 1 से 2 लाख तक का इजाफा हो रहा है।
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दून-मसूरी रोप-वे परियोजना है क्या चलिए ये भी जान लेते हैं। परियोजना को तैयार करने का श्रेय जाता है पर्यटन विभाग को। साढ़े पांच किलोमीटर लंबी ये रोप-वे परियोजना दुनिया की पांच सबसे बड़ी रोप-वे परियोजनाओं में शामिल है। इसी साल मार्च में मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने योजना का शिलान्यास किया था। योजना के तहत देहरादून के पुरकुल गांव से मसूरी लाईब्रेरी चौक तक रोप-वे तैयार किया जाएगा। परियोजना पर 300 करोड़ रुपये की लागत आएगी। 21 टॉवर खड़े किए जाएंगे, जिन पर 20 केबिन रोप-वे चलेंगे। हर दिन 11 हजार यात्री रोप-वे के जरिए दून से मसूरी पहुंचेंगे। इस वक्त देहरादून से मसूरी तक की दूरी 35 किलोमीटर है, दूरी कम है पर इसे तय करने में लोगों के पसीने छूट जाते हैं। सड़कों पर अक्सर जाम लगा रहता है। मौसम खराब हो या फिर बर्फबारी हो जाए तो मुसीबत बढ़ जाती है। कई पर्यटकों को आधे रास्ते से ही वापस लौटना पड़ता है। मसूरी में पार्किंग के लिए ज्यादा जगह भी नहीं है। ऐसे में रोप-वे के जरिए मसूरी पहुंचना सुविधाजनक तो होगा ही, साथ ही इससे दून-मसूरी पर बढ़ते ट्रैफिक दबाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।