उत्तराखंड देहरादूनuttarakhand pirul employment

देवभूमि में पलायन पर प्रहार, पिरूल से 60 हजार बेरोजगारों को मिलेगा रोजगार..काम शुरू

पहाड़ में मिलने वाले पिरूल से अब बिजली बनाई जाएगी, जिससे गांव रौशन होंगे, त्रिवेंद्र सरकार ने 21 उद्यमियों को प्लांट लगाने और बिजली उत्पादन की मंजूरी दी है...देखिए तस्वीरें

उत्तराखंड: uttarakhand pirul employment
Image: uttarakhand pirul employment (Source: Social Media)

देहरादून: पहाड़ में पिरूल से रोजगार पैदा करने की योजना सफल होती नजर आ रही है। प्रदेश में अब पिरूल से बिजली पैदा होगी। प्रदेश सरकार ने हाल ही में 21 उद्यमियों को प्लांट लगाने और बिजली उत्पादन की मंजूरी दी है। अभी तो शुरुात 21 से हो रही है लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी उत्तराखंड में करीब 6 हजार पिरुल लंयंत्र स्थापित करने की योजना है। अगर एक संयंत्र से 10 लोगों को भी रोजगार मिलता है तो 6 हजार संयंत्रों से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलना तय है। यानि अब पिरूल से पैदा होने वाली बिजली से गांव तो जगमगाएंगे ही साथ ही हजारों क्षेत्रीय युवाओं को रोजगार मिलेगा। एक्सपर्ट्स की राय है कि इस नीति के लागू होने से उत्तराखंड को पिरूल से 150 मेगावाट बिजली मिल सकती है। चीड़ की पत्तियां यानि पिरूल से बिजली पैदा करना त्रिवेंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। जो अब सफल होती दिख रही है। इस योजना पर तेजी से काम हो रहा है। इसी कड़ी में सरकार ने 21 उद्यमियों को पिरूल से बिजली बनाने के लिए प्लांट लगाने की अनुमति दे दी। सभी उद्यमियों को सरकार की तरफ से लेटर ऑफ अवॉर्ड भी जारी किया गया। जो उद्यमी पिरूल से बिजली बनाने के लिए प्लांट लगाएंगे, उन्हें सरकार की तरफ से कई सुविधाएं दी जा रही हैं। आइए जानिए कैसे...

  • वैज्ञानिकों ने ढूंढी अनूठी तरकीब

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    अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों को इस प्रयास में सफलता भी मिली है। अब पहाड़ में पिरूल से कैरी बैग, फोल्डर, फाइल, लिफाफे और डिस्प्ले बोर्ड जैसी चीजें बनाई जाएंगी, अल्मोड़ा के वैज्ञानिकों ने इसकी तरकीब खोज निकाली है। जीबी पंत पर्यावरण संस्थान ने कोसी में पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई बनाई है। जिसमें चीड़ की पत्तियों को इकट्ठा कर इससे कई तरह के प्रोडक्ट्स बनाए जाएंगे। पाइन पत्ती प्रसंस्करण इकाई में सबसे पहले पिरूल को रैग चैपर में डालकर उसके छोटे-छोटे टुकड़े किए जाते हैं। बाद में इसकी कुटाई करने के बाद इसे अलग-अलग प्रोसेस से गुजारा जाता है, तब तैयार होता है पिरूल से बना गत्ता, जिससे कई प्रोडक्ट्स बनाए जा सकते हैं।

  • पिरूल अब बन रहा है सौभाग्य

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    सच कहें तो पहाड़ में पिरूल बहुत बदनाम है। जंगलों में लगने वाली आग के लिए काफी हद तक पिरूल को ही जिम्मेदार माना जाता है। पर अब पिरूल को इकट्ठा कर इससे उत्पाद बनाए जा रहे हैं। इससे तेल, कोयला, कार्ड बोर्ड और यहां तक की कपड़े भी बनाए जा सकते हैं। पिरूल से पहाड़ में रोजगार पैदा होगा। त्रिवेंद्र सरकार भी ये बात बखूबी समझती है। इसीलिए पिरूल से बिजली पैदा करने की योजना को आगे बढ़ाया जा रहा है। इसके लिए उद्यमियों को बिना किसी गारंटी के बैंक से लोन दिया जाएगा।

  • रोजगार से जुड़ेंगे 60 हजार लोग

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    जंगलों से पिरूल इकट्ठा करने की जिम्मेदारी वन पंचायतों और स्वयं सहायता समूहों को दी गई है। योजना के तहत प्रदेश में अलग-अलग जगह प्लांट लगाए जाएंगे, जिनसे फिलहाल 675 किलोवाट बिजली का उत्पादन होगा। पिरूल का इससे अच्छा इस्तेमाल हो ही नहीं सकता। अब तक उत्तराखंड में करीब 240 मीट्रिक टन पिरूल इकट्ठा किया जा चुका है। जंगलों से जो पिरूल साफ होगा, उससे बिजली बनेगी। इससे रोजगार तो मिलेगा ही, साथ ही जंगलों को आग से बचाना भी संभव होगा।

  • पिरूल अब बन रहा है सौभाग्य

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    शुरुवात 21 उद्यमियों से हो रही है.. लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी उत्तराखंड में करीब 6 हजार पिरुल लंयंत्र स्थापित करने की योजना है। अगर एक संयंत्र से 10 लोगों को भी रोजगार मिलता है तो 6 हजार संयंत्रों से 60 हजार लोगों को रोजगार मिलना तय है।