उत्तराखंड MARTYER SURENDRA SINGH NEGI OF UTTARAKHAND

देवभूमि के इस मंदिर में होती है अमर शहीद की पूजा, हर रोज शहीद की मां जलाती है दीया

कारगिल युद्ध में अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीद सुरेंद्र सिंह नेगी की ये कहानी आज भी कलेजा चीर देती है। वो 22 साल की उम्र में देश के लिए कुर्बान हो गए थे

उत्तराखंड न्यूज: MARTYER SURENDRA SINGH NEGI OF UTTARAKHAND
Image: MARTYER SURENDRA SINGH NEGI OF UTTARAKHAND (Source: Social Media)

: शहीदों की शहादत ये देश कभी नहीं भूलेगा। आज से 20 साल पहले साल 1999 में देश के जवानों ने कारगिल में दुश्मनों को मुंहतोड़ जवाब दिया था। कई जवान कारगिल पर जीत की खुशी में तिरंगा लहरा कर लौटे तो वहीं सैकड़ों जवान तिरंगे में लिपटे हुए आए। कारगिल युद्ध को 20 साल हो गए हैं, पर इन शहीदों के घर की रौनक जो एक बार गई तो फिर कभी लौटकर नहीं आई। इन्हीं शहीदों में से एक थे देहरादून के रहने वाले जवान सुरेंद्र सिंह नेगी। जिन्होंने महज 22 साल की उम्र में देश की रक्षा करते हुए अपनी जान की बाजी लगा दी। सुरेंद्र की शहादत को हमेशा याद रखने के लिए उनके परिजनों ने बड़ोवाला में उनके नाम से मंदिर बनवाया। शहीद के नाम से बड़ोवाला में एक मंदिर बनाया गया है, जिसे उनके परिजनों ने दो साल पहले शांतिकुंज को दान में दे दिया। आज भी मां गोमती देवी सुबह भगवान की पूजा करने के साथ-साथ अपने शहीद बेटे की भी पूजा करती हैं। मां हर रोज अपने लाल को याद करती हैं।

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गोमती देवी बताती हैं कि कहने को प्रेमनगर में शहीद सुरेंद्र सिंह नेगी के नाम पर स्मारक बना है, पर इसका रखरखाव नहीं हो रहा। हर हफ्ते उन्हें खुद स्मारक की सफाई करनी पड़ती है। शहीदों के स्मारकों की देखरेख के लिए वो प्रशासन से लेकर जनप्रतिनिधियों तक से गुहार लगा चुके हैं, लेकिन इस तरफ ध्यान देने वाला कोई नहीं है। शहीद सुरेंद्र सिंह नेगी के पिता कर्नल सुजान सिंह नेगी आर्मी से रिटायर्ड हैं। वो बताते हैं कि बचपन से ही सुरेंद्र देश सेवा का सपना देखा करते थे। वो घरवालों को बिना बताए ही सेना में भर्ती होने चले गए थे। जिस वक्त कारगिल वॉर हुआ उस वक्त सुरेंद्र केवल 22 साल के थे, देश के दुश्मनों से लड़ते-लड़ते उन्होंने अपनी जान दे दी। माता-पिता को इस बात का गर्व है कि बेटा देश के काम आया, पर उसके चले जाने से उनकी जिंदगी मानों थम सी गई है। माता गोमती देवी हर सुबह मंदिर में भगवान के साथ ही शहीद बेटे की भी पूजा करती हैं।