उत्तराखंड uttarakhand state bird monal

खतरे में उत्तराखंड की शान, अस्तित्व के संकट से जूझ रहा है राज्य पक्षी मोनाल

राज्य पक्षी मोनाल का अस्तित्व खतरे में है, हम अब भी नहीं संभले तो ये पक्षी इतिहास बनकर रह जाएगा..

उत्तराखंड न्यूज: uttarakhand state bird monal
Image: uttarakhand state bird monal (Source: Social Media)

: ये हम कैसी दुनिया में रह रहे हैं, जहां एक रंग-बिरंगा, खूबसूरत, मासूम पक्षी तक सुरक्षित नहीं है। हम उसे बचा नहीं पा रहे, उसके आवास को बचा नहीं पा रहे। हिमालय की शान और उत्तराखंड की पहचान मोनाल पक्षी का अस्तित्व खतरे में है। ये रंग-बिरंगा मनोहर पक्षी इस वक्त कई तरह के खतरों से जूझ रहा है। राज्य पक्षी मोनाल के सामने आवास का संकट तो पैदा हो ही गया है, ये शिकारियों का शिकार भी बन रहे हैं। पर्वतीय इलाकों में मोनाल पक्षी का अवैध शिकार हो रहा है। जलवायु परिवर्तन की वजह से मोनाल पक्षी के आवासीय क्षेत्र भी खतरे में हैं। आमतौर पर मोनाल पक्षी बुग्यालों में उगी झाड़ियों में अपना घर बनाते हैं, पर अब जूनिपर झाड़ियां धीरे-धीरे कम होने लगी हैं। हाल ही में कुमाऊं यूनिवर्सिटी के एमबीपीजी कॉलेज के जंतु विज्ञान विभाग ने इस संबंध में शोध किया। यूनिवर्सिटी ने बुग्यालों में हो रहे परिवर्तन पर रिसर्च किया, जिसमें मोनाल पक्षी के आवासीय बदलाव के बारे में बताया गया। हल्द्वानी के एमबीपीजी कॉलेज के प्रो. डॉ. सीएस नेगी ने बताया कि साल 2005 से बुग्यालों में हो रहे बदलाव का अध्ययन किया जा रहा है। इस दौरान एक चौंकाने वाली बात सामने आई। आगे पढ़िए

ये भी पढ़ें:

यह भी पढें - देहरादून में हेडफोन लगाकर कार चला रही थी युवती, 3 वाहनों को मारी टक्कर..मची भगदड़
जब टीम 2 हजार मीटर की ऊंचाई से बुग्यालों की तरफ बढ़ी तो निचले इलाकों में मोनाल पक्षी के बच्चों के झुंड देखने को मिले। ये आश्चर्यजनक है, क्योंकि मोनाल पक्षी आमतौर पर 8 से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर दिखते हैं। ऐसे में इनका निचले इलाकों में होना आवास में आए बदलाव की निशानी है। छिपलाकेदार, दोंग, नावलिधुरा, नामिक और फातव जैसी जगहों में जूनिपर झाड़ियां कम हो रही हैं। इन्हीं झाड़ियों में मोनाल पक्षी अपने घोंसले बनाते हैं। इनके कम होने की वजह से मोनाल पक्षी निचले इलाकों में घोंसले बना रहे हैं, ये बेहद खतरनाक है, क्योंकि यहीं पर ये शिकारियों का शिकार बनते हैं। घाटियों के साथ ही उच्च हिमालयी इलाकों में भी मोनाल शिकारियों के निशाने पर हैं। इनका लगातार शिकार हो रहा है। उच्च हिमालयी इलाकों में बर्फबारी होने के बाद ये पक्षी निचली घाटियों में आता है, जहां शिकारी मांस के लिए इसका शिकार करते हैं। अप्रैल में मोनाल वापस हिमालयी इलाकों में चले जाते हैं। पर यहां पर भी इनका शिकार हो रहा है। यारसा गंबू के दोहन के लिए आने वाले लोग मांस के लिए मोनाल को मार देते हैं। मोनाल के आवास में आए बदलाव पर विस्तृत अध्ययन की जरूरत है, ताकि हमारी आने वाली पीढ़ियां भी इस खूबसूरत पक्षी को देख सकें।