उत्तराखंड BIPIN RAWAT Chief of Defense Staff

जय उत्तराखंड: जनरल बिपिन रावत बन सकते हैं देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ

वास्ताव में देवभूमि के लिए ये गौरवशाली पल होगा। बिपिन रावत देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बन सकते हैं। पढ़िए पूरी खबर

चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ: BIPIN RAWAT Chief of Defense Staff
Image: BIPIN RAWAT Chief of Defense Staff (Source: Social Media)

: पीएम मोदी ने 15 अगस्त के दिन ऐलान किया था कि देश को एक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिलने वाला है। उस वक्त से लेकर अब तक लोगों के दिलों में सवाल ये है कि आखिर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ होता क्या है? इस बीच देवभूमि के लिए गौरव का पल ये है कि जनरल बिपिन रावत को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ बनाया जा सकता है। सीडीएस यानी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ...ये फैसला 1999 के करगिल युद्ध से लटका हुआ था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का काम ये होता है कि वो सरकार को सिंगल पॉइंट मिलिट्री सलाह देगा। इसके अलावा जल, थल और वायुसेना के बीच समन्वय बैठाने का काम भी चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का है। स्वतंत्रता दिवस पर पीएम मोदी ने ये ऐलान कर दिया था कि देश को चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ मिलने जा रहा है। आपको जानकर खुशी होगी कि इस लिस्ट में सबसे आगे नाम जनरल बिपिन रावत का है। एक टॉप लेवल की कमेटी इस साल नवंबर तक चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ को तैयार करने के लिए काम करेगी। खास बात ये भी है कि जनरल बिपिन रावत का कार्यकाल 31 दिसंबर को पूरा होगा। ऐसे में उनके नाम पर काफी चर्चाएं हो रही हैं। आगे जानिए चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का काम क्या होगा।

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की रैंक आर्मी, नेवी और एयरफोर्स चीफ से ऊपर होगी। सूत्रों के हवाले से खबर है कि भविष्य में इस रैंक के अफसर को 5-स्टार जनरल भी किया जा सकता है। रक्षा से जुड़े बड़े विशेषज्ञ बताते हैं कि भारत को 5-स्टार चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की जरूरत है। उसके पास इस बीच एक पक्ष ऐसा भी है कि जिसका मानना है कि इस पद पर लंबे वक्त से राजनीतिक और ब्यूरोक्रैटिक विचार-विमर्श चल रहा है, इसलिए ऐसा होना मुश्किल है। कुछ लोग तो ये भी कह रहे हैं कि ऐसा होने से सत्तापलट हो सकता है। आपको बता दें कि साल 2012 में नरेश चंद्र टास्कफोर्स ने चीफ ऑफ स्टाफ कमिटी के चेयरमैन का प्रस्ताव दिया था। इसका कार्यकाल 2 साल का तय होता। करगिल युद्ध समाप्त हुआ तो करगिल रिव्यू कमिटी का गठन किया गया था। करगिल रिव्यू कमिटी का कहना था कि युद्ध के दौरान सेना की अलग अलग ब्रांच के बीच संचार और प्रभावी तालमेल की कमी दिखी थी। इसी कमी को दूर करने के लिए कमिटी ने चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ के पद बनाने का सुझाव दिया था। यानी यूं समझ लीजिए कि चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ का काम तीनों सेनाओं के बीच तालमेल स्थापित करना है और सैन्य मसलों पर सरकार के लिए सिंगल पॉइंट सलाहकार के तौर पर काम करना है। देखते हैं बिपिन रावत को लेकर आगे क्या होता है।