उत्तराखंड रुद्रप्रयागKedarnath yatra opened the doors of women economy

वाह DM मंगेश घिल्डियाल..1612 महिलाओं की रोजगार से जोड़ा, 1 करोड़ 20 लाख की आमदनी

डीएम मंगेश घिल्डियाल ने साल 2018 में जो शानदार कोशिश की थी, वो कोशिश अब सफल होती दिख रही है...

Kedarnath yatra: Kedarnath yatra opened the doors of women economy
Image: Kedarnath yatra opened the doors of women economy (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ है। यात्रा के जरिए श्रद्धालु पुण्यलाभ कमा रहे हैं, तो वहीं इससे क्षेत्र के ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति भी सुधरी है। अब केदारनाथ यात्रा का ही उदाहरण ले लें, इस यात्रा ने सैकड़ों महिलाओं को अपने पैरों पर खड़े होने का मौका दिया है, उन्हें आत्मनिर्भर बनाया है। वैसे इस पहल का श्रेय काफी हद तक रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल को भी जाता है। उनके इनोवेटिव आइडिया की बदौलत ग्रामीणों की आर्थिक स्थिति सुधर रही है। केदारनाथ में महिलाएं स्थानीय उत्पादों से प्रसाद तैयार कर रही हैं। सैकड़ों महिलाएं इस काम से जुड़ी हैं। प्रसाद की हाथोंहाथ बिक्री से महिलाओं को आमदनी हो रही है, साथ ही रोजगार का मौका भी मिल रहा है। इस साल भी 142 महिला समूह प्रसाद बनाने के काम में जुटे हैं। इन समूहों के जरिए 1612 महिलाओं को रोजगार मिला है। ये महिलाएं स्थानीय उत्पादों से प्रसाद बनाती हैं। जिसमें चौलाई के लड्डू और चूरमा शामिल हैं। इस बार 9 मई को केदारनाथ के कपाट खुले थे, तब से अब तक महिलाओं द्वारा तैयार प्रसाद से एक करोड़ 20 लाख 80 हजार रुपये की आमदनी हो चुकी है।

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अब केदारघाटी में महिलाएं घर संभाल रही हैं, साथ ही काम भी कर रही हैं। जो प्रसाद महिलाएं तैयार करती हैं उसमे चौलाई के लड्डू और चूरमा के साथ-साथ धूप, बेलपत्री, गंगाजल और दूसरे उत्पाद होते हैं। इस पहल की शुरुआत हुई साल 2018 में। रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने केदारनाथ के लिए प्रसाद बनाने का जिम्मा महिलाओं को सौंपा था, ये कोशिश अब रंग ला रही है। इस साल भी जिले में गंगा दुग्ध उत्पादक समूह, स्वराज सहकारिता, पिरामल फाउंडेशन, हरियाली भवन, केदार-बदरी समिति, आस्था, हिमाद्री, आईएलएसपी और एनआरएलएम से जुड़े 142 समूहों की महिलाएं प्रसाद बनाने के काम मे जुटी हैं। केदारनाथ यात्रा के दौरान अभी तक 1 करोड़, 20 लाख 80 हजार रुपये के प्रसाद की बिक्री हो चुकी है, प्रसाद संघ ने समूहों को 60 लाख रुपये का भुगतान भी कर दिया है। पहाड़ की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की ये कोशिश सराहनीय है, ऐसे प्रयास होते रहने चाहिए।