उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालUttarakhand’s culture needed to save

पहाड़ से पलायन के खात्मे के लिए प्रयासरत है ये युवा पत्रकार, पहाड़ की समस्याओं को देश-दुनिया के सामने रखा

युवा पत्रकार सिद्धांत के जरिए पहाड़ की ऐसी कई कहानियों को मंच मिला, जिनसे हम और आप आज तक अनजान थे...

Uttarakhand culture: Uttarakhand’s culture needed to save
Image: Uttarakhand’s culture needed to save (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: पलायन पहाड़ की पीड़ा है, और ये पीड़ा तब तक दूर नहीं होगी जब तक हम इसे दूर करने के लिए मिलकर कोशिश नहीं करेंगे। ये सच है कि पलायन की वजह से गांव खाली हो रहे हैं, पर ये भी सच है कि लोग इसे गंभीर समस्या के तौर पर देखने लगे हैं, और अपनी-अपनी तरह से पलायन रोकने की कोशिशें कर रहे हैं। एक ऐसी ही कोशिश की पहाड़ के एक युवा पत्रकार ने, जिसने पहाड़ में रहकर पहाड़ की पीड़ा को शब्द दिए, इसे देश-दुनिया तक पहुंचाया। राज्य समीक्षा के माध्यम से हम ऐसे ही लोगों को मंच देने की छोटी से कोशिश कर रहे हैं। जिस युवा पत्रकार की हम बात कर रहे हैं, उनका नाम है सिद्धांत उनियाल। सिद्धांत पहाड़ के प्रसिद्ध मंदिरों के साथ ही गांव-घरों में अच्छी शुरुआत कर रहे लोगों की कहानियां चुन-चुनकर लाते हैं। इन कहानियों को शब्द देते हैं, साथ ही मंच भी। पलायन, खाली होते गांव और उत्तराखंड की संस्कृति पर सिद्धांत अब तक कई लेख लिख चुके हैं।

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मशरूम उत्पादन से स्वरोजगार अपनाने वाली सोनी बिष्ट हो या रिवर्स पलायन कर पौड़ी में खेती कर रहे युवा...इनकी प्रेरणादायक कहानियां सिद्धांत के जरिए ही आम लोगों तक पहुंच सकी। पौड़ी के स्कूलों में गढ़वाली पाठ्यक्रम, लकड़ियों को तराश कर मूर्ति का रूप देते जसपाल रमोला जैसे कई विषय हैं, जिनके बारे में सिद्धांत ने लिखा और इनके बारे में दुनिया को बताया। सिद्धांत ने मनसार के मेले को प्रचारित किया, जिसका नतीजा ये निकला कि अब ये क्षेत्र सीता सर्किट के तौर पर विकसित किया जा रहा है। युवा पत्रकार सिद्धांत ने साबित कर दिया कि पहाड़ के लिए कुछ बेहतर करने के लिए संसाधनो की कमी का रोना रोने की जरूरत नहीं है, बस मन में इच्छाशक्ति होना ही काफी है। राज्य समीक्षा ऐसे युवाओं के हौसले को सलाम करता है, जो कि पहाड़ की दिशा और दशा बदलने के लिए लगातार प्रयासरत हैं। ऐसी कोशिशें जारी रहनी चाहिए...