उत्तराखंड देहरादूनPaperless system will be started from e-cabinet

उत्तराखंड में पेपरलेस हो जाएगा सरकारी कामकाज, ई-कैबिनेट से होगी शुरुआत

प्रदेश में सरकारी कामकाज को पेपरलेस करने की मुहिम शुरु हो गई है, प्रोजेक्ट की शुरुआत सचिवालय से होगी...

e-cabinet: Paperless system will be started from e-cabinet
Image: Paperless system will be started from e-cabinet (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में सरकारी कामकाज को पेपरलेस करने की कवायद शुरू हो गई है। इस मुहिम से सबसे पहले छह विभागों को जोड़ा जाएगा। बाद में दूसरे विभागों में भी कागज की खपत रोकी जाएगी। सरकार इस मुहिम का आगाज ई-कैबिनेट के जरिए करने जा रही है। 8 जनवरी को प्रदेश मंत्रिमंडल की जो बैठक होगी, उसमें कागज का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा। मंत्रियों और अफसरों के हाथ में फाइलें नहीं, बल्कि लैपटॉप नजर आएंगे। सभी कैबिनेट मिनिस्टर अपने लैपटॉप के जरिए कैबिनेट की कार्यवाही में हिस्सा लेंगे। ये अच्छी शुरुआत है। सूचना प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल कागज की खपत कम करने के लिए हो, इससे अच्छा फैसला हो ही नहीं सकता। कामकाज पेपरलेस होगा तो पेपर की खपत रुकेगी। पेपर के लिए पेड़ नहीं कटेंगे। पर्यावरण बचेगा। साथ ही एक क्लिक पर हर जानकारी उपलब्ध होगी तो फाइलों को ढूंढने, पढ़ने में खर्च होने वाली मेहनत और समय भी बचेगा।

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8 जनवरी को ई-कैबिनेट बैठक होने वाली है। जिसके लिए राष्ट्रीय सूचना केंद्र यानि एनआईसी ने स्पेशल सॉफ्टवेयर तैयार किया है। सॉफ्टवेयर पर कैसे काम करना है, इसके लिए मंत्रियों को ट्रेनिंग दी जा रही है। सचिवालय का कामकाज भी पेपरलेस हो जाएगा। जिसके लिए एनआईसी ने ई ऑफिस सॉफ्टवेयर बनाया है। इन दिनों सचिवालयकर्मी ई-ऑफिस सॉफ्टवेयर पर काम करने की ट्रेनिंग ले रहे हैं। सूत्रों की मानें तो सचिवालय में ई-ऑफिस की शुरुआत जनवरी में हो सकती है। पहले चरण में इससे आपदा प्रबंधन, आईटी विभाग, सचिवालय प्रशासन, श्रम, प्रोटोकॉल, मुख्यमंत्री और मुख्य सचिव कार्यालय के एक-एक अनुभाग को जोड़ा जाएगा, बाद में दूसरे विभागों का नंबर आएगा। सूचना प्रौद्योगिकी विकास अभिकरण (आईटीडीए) ने सचिवालय के 70 अनुभाग चिन्हित कर लिए हैं, जिनमें 50 अफसरों को मास्टर ट्रेनर के रूप में तैनात किया गया है। छह महीने के भीतर सचिवालय का कामकाज पेपरलेस हो जाएगा। बाद में विभागों को पेपरलेस बनाने का अभियान चलेगा। ये अच्छी पहल है। जिससे पेपरलेस व्यवस्था को मजबूती मिलेगी। सरकारी कामकाज में पारदर्शिता और सुधार आयेगा।