उत्तराखंड अल्मोड़ाYoungster quit the metropolitan jobs and started a start-up in the village

पहाड़ के इस नौजवान ने शहर छोड़ा, गांव लौट कर बनाए होमस्टे..अब लाखों में कमाई

शहर की नौकरी छोड़ने के लिए हिम्मत चाहिए। फैसला जोखिम भरा था, पर खीम सिंह ने जोखिम उठाया और दो साल पहले गांव लौट आये...

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Image: Youngster quit the metropolitan jobs and started a start-up in the village (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: पहाड़ में मेहमानों का दिल खोलकर स्वागत किया जाता है। हमारे यहां अतिथियों के आदर सत्कार की परंपरा रही है। इसी परंपरा को पहाड़ के कुछ युवाओं ने रोजगार का जरिया बना लिया है। पहाड़ में होम स्टे स्टार्टअप की ऐसी ही सफल कहानी लिखी अल्मोड़ा के खीम सिंह नगरकोटी ने। जिन्होंने रिस्क लेकर अपनी और अपने गांव के लोगों की तकदीर बदल दी। आज खीम सिंह स्टार्टअप और रिवर्स पलायन की शानदार मिसाल बन गए हैं। अल्मोड़ा में एक ब्लॉक है ताकुला। खीम सिंह इसी ब्लॉक के बसौली गांव में रहते हैं। उच्च शिक्षा हासिल करने के बाद साल 2010 में वो दिल्ली चले गए थे। वहां एक फर्म में ऑडिटर की जॉब करने लगे। साल 2014 में शादी हो गई। बाद में पंतनगर स्थित लासा कंसल्टेंसी प्राइवेट लिमिटेड में एक्साइज और सर्विस टैक्स ऑडिटर बन गए। जॉब में सिक्योरिटी थी। सब ठीक चल रहा था, पर खीम सिंह का मन गांव में ही लगा रहा।

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शहर की नौकरी छोड़ने के लिए हिम्मत चाहिए। फैसला जोखिम भरा था, पर खीम सिंह ने जोखिम उठाया और दो साल पहले गांव लौट आये। कुछ दिन तक क्षेत्र के बड़े दुकानदारों का ऑडिट संभाला। साथ ही अपनी 7 नाली बंजर जमीन पर होम स्टे का सपना देखने लगे। वो मडहाउस बनाना चाहते थे, पर ये आसान नहीं था। बंजर जमीन पर मजदूरों ने खुदाई से मना किया तो खीम सिंह ने खुद फावड़ा उठा लिया। एक महीने की मेहनत के बाद बंजर जमीन को सीढ़ीदार खेतों की शक्ल दे डाली। बाद में यहां लाल मिट्टी के गारे से चार मडहाउस खड़े किये। इको फ्रेंडली रेस्टोरेंट, स्टाफ रूम और रसोई बनाई। मडहाउस को मुख्य रोड से जोड़ने के लिए खुद 300 मीटर लंबी रोड बनाई। अब ये जगह टूरिस्ट स्पॉट का रूप ले चुकी है। मडहाउस और हट्स में आने वाले मेहमानों को तुलसी और लेमनग्रास की चाय परोसी जाती है। खीम सिंह ने खाली जमीन पर योग ध्यान केंद्र भी बनाया है। साथ ही अपने भाई देवेंद्र और गांव के बेरोजगार युवाओं को रोजगार भी दे रहे हैं। होम स्टे के साथ ही खीम सिंह मशरूम का उत्पादन भी करते हैं। आज उनकी आय लाखों में है। रिवर्स पलायन कर अपने गांव को संवारने वाले खीम सिंह क्षेत्र के लोगों के लिए मिसाल बन गए हैं। उनकी कहानी पहाड़ के दूसरे युवाओं को भी स्वरोजगार अपनाने की प्रेरणा दे रही है।