उत्तराखंड पौड़ी गढ़वालNamrata kandwal doing Cannabis production in pauri garhwal

पहाड़ के कंडवाल गांव की बेटी..दिल्ली छोड़ घर लौटी, भांग से बनाए डिज़ाइनर कपड़े..कमाई भी अच्छी

नम्रता ने दिल्ली में रहकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई की। चाहती तों लाखों के पैकेज वाली जॉब कर सकती थीं, लेकिन कुछ अलग करने की चाह उन्हें गांव खींच लाई...

Namrata kandwal: Namrata kandwal doing Cannabis production in pauri garhwal
Image: Namrata kandwal doing Cannabis production in pauri garhwal (Source: Social Media)

पौड़ी गढ़वाल: पहाड़ की कर्मठ बेटियां स्वरोजगार से सशक्तिकरण की कहानियां लिख रही हैं। ऐसी ही होनहार बेटी हैं यमकेश्वर की नम्रता कंडवाल (namrata kandwal), जो कि नशे के लिए बदनाम भांग से विभिन्न तरह के उत्पाद बना रही हैं। भांग का ऐसा बढ़िया इस्तेमाल भी हो सकता है, ये किसने सोचा था। नम्रता कंडवाल (namrata kandwal) पौड़ी गढ़वाल के यमकेश्वर की रहने वाली हैं। उन्होंने दिल्ली में रहकर आर्किटेक्ट की पढ़ाई की। चाहतीं तो शहर में अच्छी तनख्वाह वाली जॉब कर सकती थीं, लेकिन कुछ अलग करने की चाहत उन्हें गांव खींच लाई। नम्रता का परिवार कंडवाल गांव में रहता है। दिल्ली से पढ़ाई पूरी करने के बाद वो गांव लौटीं और स्टार्टअप शुरू कर दिया। भांग के रेशे से कई तरह के उत्पाद बनाने लगीं। नम्रता ने हेम्प एग्रोवेंचर्स स्टार्टअप्स की शुरुआत की, जिसे सीएम त्रिवेंद्र सिंह रावत ने भी सराहा। नम्रता भांग के बीजों और रेशे से रोजमर्रा के इस्तेमाल की चीजें बनाती हैं।

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पति गौरव दीक्षित और भाई दीपक कंडवाल ने भी हमेशा उन्हें प्रोत्साहित किया। नम्रता कंडवाल (namrata kandwal) बताती हैं कि भांग का पूरा पौधा बहुपयोगी होता है। ये बड़े दुख की बात है कि भांग के दूसरे उपयोगों की तरफ लोगों ने कम ही ध्यान दिया है। भांग के बीजो से निकलने वाले तेल से औषधियां बनती हैं। रेशे से कई तरह के सामान बनते हैं। भांग के पेड़ से मिले रेशे का इस्तेमाल कागज बनाने के लिए किया जा सकता है, इससे हमें पेड़ों को काटने की जरूरत नहीं पड़ेगी। ये पेड़ों के फाइबर से बेहतर भी है। पुराने वक्त में भांग के तने का इस्तेमाल बिल्डिंग मटीरियल बनाने में होता था। ये कोई नया इनोवेशन नहीं है, पुराने लोग इस बारे में जानते थे। अंजता-एलोरा की गुफाओं में इसी से बना प्लास्टर इस्तेमाल किया गया है। दौलताबाद के किले में भी इसका इस्तेमाल हुआ। यही नहीं फ्रांस में एक पुल बनाने में भी इसका इस्तेमाल हुआ था, जो कि पिछले पांच सौ साल से टिका हुआ है। राज्य में भांग की खेती के लिए पर्याप्त संसाधन मौजूद हैं, भांग के रेशे से कई चीजें बनाई जा सकती हैं। इससे राज्य में रोजगार के नए अवसर सृजित होंगे।