उधमसिंह नगर: प्रदेश में इन दिनों पारा सामान्य से तीन से चार डिग्री अधिक चल रहा है और मौसम में गर्माहट महसूस की जा रही है मगर शुक्रवार यानी कि आज मौसम के खराब होने की भारी सम्भावनाएं हैं। मौसम विभाग की जानकारी के अनुसार मसूरी और आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में भारी बारिश और ओलावृष्टि की सम्भावनाएं हैं। इसके साथ ही मैदानी इलाकों में तेज आंधी चल सकती है। देहरादून समेत हरिद्वार और उधमसिंह नगर जैसे मैदानी इलाकों को सावधान रहने की जरूरत है। इसके अलावा रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी जैसे जिलों में अधिक ऊंचाई वाले इलाकों में बर्फबारी की संभावना है। इन जिलों में बारिश से जनजीवन प्रभावित हो सकता है। देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं भी चल सकती है। इस बात की पुष्टि की है मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने। उत्तराखंड राज्य में मौसम का करवट बदलना एक आम सी बात हो गई है। आपको बता दें कि इस साल राज्य में सर्दियों ने अपने सभी पुराने रिकॉर्ड तोड़े हैं और लोगों को बेहद परेशान भी किया है। मौसम की मार उत्तराखंड के निवासी अभी तक झेल रहे हैं। कुछ दिनों पहले तक यहां के पर्वतीय क्षेत्रों में बर्फबारी भी देखने को मिली थी। मौसम की वजह से उत्तराखंड निवासियों को काफी तकलीफें झेलनी पड़ रही हैं। आगे भी पढ़ लीजिए
ये भी पढ़ें:
यह भी पढ़ें - गुड न्यूज: उत्तराखंड के 7 जिले ग्रीन जोन में हैं, यहां कोरोना वायरस का कोई खतरा नहीं
लगता है कि इस बार गर्मियों के लिए राज्य के लोगों को थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। जैसे ही मौसम में थोड़ी तपिश महसूस होती है वैसे ही ठंडक फिर आकर अपने पांव जमा लेती है। राज्य में एक बार फिर से मौसम खराब होने का अंदेशा लगाया जा रहा है। गुरुवार को देहरादून में दिनभर मौसम खिला हुआ था मगर देर शाम हल्की हवाओं के साथ बादल घिरने लगे। साथ ही साथ मसूरी और आसपास के पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश और ओलावृष्टि की भी संभावना है जबकि देहरादून समेत अन्य मैदानी क्षेत्रों में 50 से 60 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से हवाएं भी चल सकती है। इस बात की पुष्टि की है मौसम विज्ञान केंद्र के निदेशक विक्रम सिंह ने। उन्होंने बताया की अधिकतम और न्यूनतम तापमान सामान्य से 3 से 4 डिग्री सेल्सियस अधिक चल रहा है। शुक्रवार से इसमें कमी आ सकती है। इस दौरान बद्रीनाथ, गंगोत्री, केदारनाथ और यमुनोत्री के साथ ही उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हिमपात होने की भी संभावनाएं हैं।