उत्तराखंड रुद्रप्रयागKedarnath yatra only priests will go to kedarnath temple

केदारनाथ धाम से बड़ी अपडेट, इस बार भक्त रास्ते में नहीं कर पाएंगे डोली के दर्शन

आम तौर पर केदरनाथ धाम के कपाट खोलने से पहले पंंचमुखी डोली पैदल यात्रा करती है। लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।

Kedarnath Dham: Kedarnath yatra only priests will go to kedarnath temple
Image: Kedarnath yatra only priests will go to kedarnath temple (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: चारधाम यात्रा रूट पर रहने वाले लोगों के लिए ये वक्त सामाजिक, भावनात्मक और आर्थिक रूप से तोड़ देने वाला है। कोरोना की काली छाया से उत्तराखंड के चारधाम भी अछूते नहीं रहे। कहने को तय तिथि पर केदारनाथ धाम के कपाट खुलेंगे, यात्रा भी शुरू होगी, लेकिन भक्त अपने आराध्य के दर्शन नहीं कर पाएंगे। 29 अप्रैल को केदारनाथ धाम के कपाट खुलने हैं। 26 अप्रैल को बाबा केदार की उत्सव डोली को पैदल न जाकर ऊखीमठ से वाहन के जरिए सीधे सोनप्रयाग पहुंचेगी। यहां से 27 अप्रैल को ही केदारनाथ की डोली अपने धाम पहुंच जाएगी। तय कार्यक्रम के अनुसार 29 अप्रैल को सुबह 6 बजकर 10 मिनट पर मेष लग्न में मंदिर के कपाट खोले जाएंगे। बाबा केदार की डोली को वाहन से सीधे सोनप्रयाग ले जाए जाने की वजह से मार्ग में भक्त डोली के दर्शन नहीं कर सकेंगे। अमूमन पंचमुखी डोली को पैदल ले जाया जाता था, कहा जा रहा है कोराना की सावधानी को लेकर यह कदम उठाया गया हैं। कपाट तय तिथि पर 29 अप्रैल को खुलेंगे। इस दौरान मंदिर में मुख्य पुजारी समेत सिर्फ 16 लोग ही मौजूद रहेंगे।

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रुद्रप्रयाग के डीएम मंगेश घिल्डियाल ने ये जानकारी दी। उन्होंने कहा कि लोगों की सुरक्षा हमारे लिए सर्वोपरी है। इसी को देखते हुए लोगों को मंदिर में दर्शन की अनुमति नहीं दी जाएगी। डीएम ने लोगों से डोली कार्यक्रम के दौरान ऊखीमठ से गौरीकुंड तक सड़क पर नहीं आने की अपील भी की। रुद्रप्रयाग प्रशासन ने यात्रा की तैयारियां पूरी कर ली हैं। बिजली की सप्लाई शुरू हो गई है। गौरीकुंड से केदारनाथ तक 16 किलोमीटर लंबे पैदल मार्ग से बर्फ हटा दी गई है। अब यहां घोड़े-खच्चर और यात्री पैदल आ-जा सकते हैं। आपको बता दें कि सोमवार को बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि बदले जाने के बाद माना जा रहा था कि केदारनाथ के कपाट खुलने की तिथि भी बदली जाएगी। लेकिन बाद में कपाट खुलने की तिथि में किसी तरह का बदलाव ना करने का फैसला किया गया। क्योंकि अगर तिथि में बदलाव होता तो द्वितीय, तृतीय और चतुर्थ केदार के कपाट खोलने की तिथि भी बदली जाती। इसलिए केदारनाथ के कपाट निश्चित तिथि पर ही खुलेंगे। इस दौरान मंदिर में रावल की जगह उनके प्रतिनिधि मौजूद रहेंगे। सोशल डिस्टेंसिंग और सभी नियमों का पूरी तरह पालन किया जाएगा।