उत्तराखंड देहरादूनLockdown positive impact on pollution in uttarakhand

देहरादून में लॉकडाउन का चमत्कार, 76 फीसदी साफ हुई हवा..पढ़ लीजिए ताजा रिपोर्ट

उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ये आंकड़े दिल खुश करने वाले हैं। लॉकडाउन में देहरादून की हवा और पानी भी साफ हो गया है।

Dehradun Lockdown: Lockdown positive impact on pollution in uttarakhand
Image: Lockdown positive impact on pollution in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: लॉकडॉउन के चलते लोग घरों में कैद क्या हुए, प्रकृति खुलकर सांस लेने लगी है। पानी साफ हो गया, शहरों से दमघोंटू पॉल्यूशन गायब को गया। कुल मिलाकर लॉकडाउन के सहारे प्रकृति ने सारी दुनिया को एक सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की। अब इस संदेश को समझने की जरूरत है। लॉकडाउन में देहरादून की हवा और पानी भी साफ हो गया। यहां वायु प्रदूषण की दर 76 फीसदी तक घट गई। 76 फीसदी का मतलब समझते हैं आप? यानी जैसी हवा, जैसा मौसम देहरादून में करीब 20 साल पहले हुआ करता था..वैसा मौसम सिर्फ कुछ दिनों के लॉकडाउन में हो गया। है न कमाल की बात? गाड़ियों के पहिए थमे तो दून सिटी भी खुलकर सांस लेने लगी। यहां वायु प्रदूषण की दर 76 फीसदी तक घट गई। अब आगे भी पढ़िए इस रिपोर्ट को

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उत्तराखंड में गंगा भी निर्मल होकर बहने लगी। गंगा के जल में प्रदूषण 47 फीसदी तक घट गया। साल 1985 से देश में गंगा एक्शन प्लान चल रहा है। जिसके तहत गंगा की सफाई के लिए करोड़ों रुपये खर्च किए गए, लेकिन जो नतीजे लॉकडाउन के दौरान देखने को मिले, वो पहले कभी नहीं देखे गए। उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ये आंकड़े दिल खुश करने वाले हैं। लॉकडाउन के दौरान गंगा का पानी चार जगहों देवप्रयाग, लक्ष्मणझूला, ऋषिकेश बैराज और हरकी पैड़ी में ए-ग्रेड पाया गया। इसे आप यूं समझ सकते हैं कि ए-ग्रेड पानी को हम सिर्फ क्लोरीन मिलाकर पी सकते हैं। ए-ग्रेड पानी में डीओ 06 एमजी प्रति लीटर या अधिक, बीओडी 02 एमजी प्रति लीटर से कम और टोटल कॉलीफॉर्म 50 एमपीएन प्रति 100 एमएल या इससे कम होना चाहिए। आगे भी पढ़िए..आपके लिए बहुत कुछ खास है

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देहरादून की हवा पर भी लॉकडाउन का पॉजिटिव असर पड़ा। आमतौर पर यहां वायु प्रदूषण का ग्राफ मानक से दो गुना ज्यादा रहता है, लेकिन जनता कर्फ्यू वाले दिन यानि 22 मार्च को यह आंकड़ा 81 फीसदी से भी नीचे पहुंच गया था। पद्मभूषण डॉ. अनिल जोशी कहते हैं कि इंसान को विकास की अंधी दौड़ से बचना होगा। हमें विकास को संतुलित रूप से धरातल पर उतारने की सीख लेने की जरूरत है। वहीं उत्तराखंड अंतरिक्ष उपयोग केंद्र के निदेशक डॉ. एमपीएस बिष्ट कहते हैं कि विकास जरूरी है, लेकिन वह संतुलित रहे तो सबके लिए अच्छा होगा। अब प्रकृति की रक्षा और उसे सम्मान देने का वक्त आ गया है। कुल मिलाकर कहें तो उत्तराखंड पर्यावरण संरक्षण एवं प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ये आंकड़े दिल खुश करने वाले हैं। लॉकडाउन में देहरादून की हवा और पानी भी साफ हो गया है।