नैनीताल: लॉकडाउन के दौरान एक बात तो बिल्कुल साफ हो गयी है कि प्रकृति को बचाने की जितनी जद्दोजहद मनुष्य करते हैं वो सब व्यर्थ है। प्रकृति खुद को अपने-आप ही साफ कर लेती है। अब देखिये न, लॉकडाउन हुआ और महीने भर से सब मनुष्य अपने-अपने घरों में कैद हो रखे हैं। इसी दौरान प्रकृति ने खुद को सफाई कर ली है। राज्य की राजधानी देहरादून की हवा भी 75 प्रतिशत साफ हो गयी है। साथ ही गंगा नदी, जिसकी सेहत को सुधारने के लिए करोड़ो रूपये खर्च किये गए, आंदोलन किये गए, आज वो नदी एकदम साफ हो गयी है। ऐसा ही सुखद दृश्य नैनी झील में भी देखने को मिल रहा है। लॉकडाउन का ऐसा असर हुआ है कि नैनीताल की नैनीझील महीने भर में ही बहुत ज्यादा साफ-सुथरी हो गयी है। लॉकडाउन के कारण मनुष्यों के घर मे कैद होने से प्रकृति दिन प्रति दिन निखरती जा रही है। इसकी वजह से ही नैनी झील में 20 फीट नीचे तक मछलियां साफ दिखने लगी हैं। यह झील इतनी अधिक साफ हो गई है कि इसके साफ-सुथरे चमचमाते पानी के 20 फीट नीचे तक हम रंग-बिरंगी मछलियों को तैरते हुए देख सकते हैं।
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इसका मुख्य कारण पर्यटकों की अनुपस्थिति ही है। लॉकडाउन के कारण नैनीताल में पर्यटकों का आना बन्द हो गया है, जिसके कारण कूड़ा-कचरा नहीं होता है। पर्यावरणविद अजय रावत ने भी यही कहा है। उनके अनुसार मनुष्यों के कारण ही यह झील दूषित होती थी। अब जब पर्यटक नहीं हैं तो कूड़ा-कचरा नहीं होता है। झील का पानी एकदम चांदी की भांति चमक रहा है। इसी के साथ बारिश होने के कारण झील में पानी का स्तर भी बढ़ गया है। पिछले साल तक झील का स्तर मात्र तीन फीट था जो कि वर्तमान में छह फीट हो गया है। अजय रावत ने भी कहा कि प्रदूषण कम होने से झील की पारदर्शिता के ऊपर सबसे ज्यादा फर्क पड़ा है। पहले केवल सतह से तीन-चार फीट नीचे तक दिखाई देता था। मगर आज 20 फीट गहराई तक तैरती खूबसूरत मछलियां नजर आ रही हैं। पर्यावरण में हो रहे अनोखे बदलावों से यह बात तो साफ हो गयी है कि प्रकृति अपनी मरम्मत खुद कर सकती है। शहरों में दम घोटने वाली जहरीली हवा साफ हो गयी है जिससे कई रोगियों को राहत मिलेगी। जानवरों और पक्षियों को हम शहरों में देख सकते हैं। कुल मिला कर इस लॉकडाउन से पर्यावरण शुद्ध हो गया है और प्रकृति अपनी असली सूरत में वापस आ गई है जो कि अच्छी बात है।