उत्तराखंड टिहरी गढ़वालadvocate rituparn uniyal Justice giver to Kamlesh Bhatt

उत्तराखंड: ये हैं दिवंगत कमलेश के केस को कोर्ट तक ले जाने वाले वकील ऋतुपर्ण उनियाल

ऋतुपर्ण ने कमलेश के भाई विमलेश से संम्पर्क किया और उनकी ओर से 25 अप्रैल की रात को ही दिल्ली हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से बात कर लॉकडाउन में याचिका दायर करने की व्यवस्था की।

Advocate Rituparn Uniyal: advocate rituparn uniyal Justice giver to Kamlesh Bhatt
Image: advocate rituparn uniyal Justice giver to Kamlesh Bhatt (Source: Social Media)

टिहरी गढ़वाल: उत्तराखंड के टिहरी जिले के दिवंगत युवा कमलेश भट्ट (Late Kamlesh Bhatt) का शव आखिरकार भारत और ऋषिकेश के पूर्णानंद घाट पर उसका अंतिम संस्कार किया गया। 24 अपैल की रात दुबई से कमलेश का शव लेकर कार्गो विमान दिल्ली पहुंचा लेकिन इमीग्रेशन ने शव को उतरने नहीं दिया। विमान शव को लेकर वापस लौट गया। इस वाकये पर हर किसी ने हैरानी जताई। इस बात की जानकारी जब सोशल मीडिया के जरिये दिल्ली हाइकोर्ट के अधिवक्ता ऋतुपर्ण उनियाल को लगी, तो उन्होंने दिवंगत कमलेश के भाई विमलेश से संम्पर्क किया और उनकी ओर से 25 अप्रैल की रात को ही दिल्ली हाइकोर्ट के रजिस्ट्रार जनरल से बात कर लॉकडाउन में याचिका दायर करने की व्यवस्था की। अगले दिन रविवार होने के बावजूद अधिवक्ता ऋतुपर्ण के प्रयासों से कोर्ट में याचिका दाखिल की गई। याचिका में पार्थिव शरीर को भारत लाने के लिए आदेश पारित करने का आग्रह किया गया था। आगे पढ़िए...

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वीडियो कांफ्रेंसिंग से हुई सुनवाई में मामले में भारत सरकार की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल मनिंदर आचार्य ने कहा कि इस तरह के मामलों के समाधान के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर बनाया जा रहा है। आखिरकार कोर्ट ने मामले भारत सरकार को नोटिस जारी कर 27 अप्रैल तक डेडबॉडी की लोकेशन व कंडीशन पर रिपोर्ट दाखिल करने के निर्देश दिए। मीडिया में ये मामला ही चल रहा था लेकिन इसके बाद ऋतुपर्ण उनियाल द्वारा कोर्ट में याचिका डालने का असर ये हुआ कि जिस समय कोर्ट में मामले की सुनवाई चल रही उसी समय केन्द्र सरकार की ओर से अतिरिक्त सॉलीसीटर जनरल ने कोर्ट को सूचित किया कि इस मामले पर आला अधिकारियों की भी मामले में बैठक हो रही है। बहरहाल कोर्ट के नोटिस जारी करने के बाद तत्काल बाद गृह मंत्रालय का आदेश जारी हुआ और कमलेश के शव को भारत लाया जा सका। ऋतुपर्ण उनियाल ने इस मामले को अदालत ले जाकर न केवल कमलेश भट्ट को न्याय दिलाने के लिए लड़ाई लड़ी बल्कि इस तरह के बाकी मामलों में भी केन्द्र सरकार को नीति बनाने के लिए प्रेरित किया।