उत्तराखंड चमोलीTirtha priests worshiped at Badrinath on 30 April

बदरीनाथ धाम के कपाट आज नहीं खुले, तीर्थ पुरोहितों ने मांगी क्षमा

बदरीनाथ के पुरोहितों ने ठीक सुबह साढ़े 4 बजे भगवान बद्री विशाल से कपाट खुलने में हुए विलम्ब को लेकर उनकी पूजा की और दिल से क्षमा मांगी।

Badrinath dham: Tirtha priests worshiped at Badrinath on 30 April
Image: Tirtha priests worshiped at Badrinath on 30 April (Source: Social Media)

चमोली: यह साल वाकई दुखों की गठरी लेकर आया है। एक तो कोरोना की टेंशन और ऊपर से कोरोना की वजह से सदियों से चल रही परम्पराओं में बदलाव होना। देवभूमि के देवस्थानों में हजारों सालों से चली आ रही परंपरा को कोरोना के कारण बदलना पड़ रहा है जो कि सबका मन दुखी कर रहा है। चार धामों में से एक बदरीनाथ के कपाट खुलने की तिथि में बदलाव किया गया है। हजारों सालों से बदरीनाथ के कपाट परम्परागत तरीके से खुलते थे और श्रद्धालु हर साल बेसब्री से बदरीनाथ की यात्रा का इंतजार करते थे। पूर्व में तय किए गए कार्यक्रम के अनुसार बदरीनाथ के कपाट आज यानी कि 30 अप्रैल को खुलने थे मगर कोरोना संक्रमण को देखते हुए आज बदरीनाथ के कपाट नहीं खुले जिसके बाद वहां उपस्थित पुरोहितों ने भगवान से क्षमा मांगी। बदरीनाथ धाम के कपाट खुलने की तिथि हर साल बसन्त पंचमी को टिहरी राज दरबार पंचांग गणना के आधार पर होती है।

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मगर चूंकि आज बद्री विशाल भगवान के कपाट नहीं खुले जिसके बाद धाम के कई पुरोहितों ने आज सुबह ठीक 4:30 बजे उठकर भगवान बद्री विशाल की पूजा की दिल से अर्चना की और बदरीनाथ धाम के कपाट आज न खुलने के लिए उनसे हृदय से क्षमा मांगी। बता दें कि अब बदरीनाथ धाम के कपाट 15 मई सुबह ठीक 4:30 बजे खुलेंगे। बदरीनाथ के धर्माधिकारी भुवन चन्द्र उनियाल ने बताया कि ऐसा इतिहास में पहली बार हुआ है कि बदरीनाथ कपाट खोलने की तिथि में छेड़-छाड़ की गई जिसके बाद धाम के कुछ पुरोहितों ने मन को शांत करने के लिए आज सुबह 4:30 बजे बद्री विशाल भगवान की पूजा-अर्चना करके उनसे माफी मांगी। बदरीनाथ में कपाट खोलने के दौरान लॉकडाउन के नियमों का पालन किया जाएगा और सोशल डिस्टनसिंग का भी ध्यान रखा जाएगा। हर साल की तरह इस साल भी कई श्रद्धालुओं के मन मे बदरीनाथ यात्रा की तीव्र इच्छा थी, मगर कोरोना के कारण सभी श्रद्धालुओं की इच्छा के ऊपर पानी फिर गया जो पिछले एक साल से बदरीनाथ यात्रा शुरू होने के इंतजार में बैठे थे।