उत्तराखंड देहरादूनVillagers of bijnu walk 6 km to hospital for sick man

ये कंधे पर मरीज है या उत्तराखंड का सिस्टम? ये किसे ढोया जा रहा है ?

ये तस्वीर देहरादून जिले की है। उसी देहरादून जिले की जिसे सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का दावा कर रही है, इसी चमचमाती राजधानी के दूरस्थ इलाकों में लोग कैसी जिंदगी जी रहें हैं, ये आप इस तस्वीर को देखकर समझ सकते हैं...

Dehradun News: Villagers of bijnu walk 6 km to hospital for sick man
Image: Villagers of bijnu walk 6 km to hospital for sick man (Source: Social Media)

देहरादून: सूबे की सरकार स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने का दावा कर रही है, लेकिन उत्तराखंड के गांवों में अस्पताल तो दूर सड़क जैसी जरूरी सुविधाएं तक नहीं हैं। यहां लोग भगवान से हर वक्त यही प्रार्थना करते हैं कि चाहे कुछ हो जाए, पर कोई बीमार ना पड़े। किसी के बीमार होने पर क्या होता है, ये आप ऊपर दिख रही तस्वीर में देख लें। ये तस्वीर देहरादून जिले की है। उसी देहरादून जिले की जिसे सरकार स्मार्ट सिटी बनाने का दावा कर रही है, इसी चमचमाती राजधानी के दूरस्थ इलाकों में लोग कैसी जिंदगी जी रहें हैं, ये आप इस तस्वीर को देखकर समझ सकते हैं। तस्वीर जिले के साहिया क्षेत्र की है, इस क्षेत्र में अस्पताल तो दूर एक सड़क तक नहीं है। कोई बीमार होता है या किसी का एक्सीडेंट होता है तो पहली चिंता यही होती है कि मरीज को अस्पताल तक पहुंचाएं कैसे। गुरुवार को भी यही हुआ। बिजनू गांव के बिजनाड़ अनुसूचित जाति बस्ती में रहने वाले एक युवक की तबीयत बिगड़ गई। कोई उपाय ना देख परिजनों ने कंबल और बांस के डंडों से किसी तरह डांडी-कंडी तैयार की। इसमें युवक को लेटाया और करीब 6 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई कर किसी तरह मुख्य सड़क तक पहुंचे। बाद में बीमार युवक को निजी वाहन से क्वांसी के अस्पताल में भर्ती कराया गया।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - गढ़वाल: वंदना की हत्या के आरोपी पति पर गिरी गाज़, नौकरी से भी सस्पेंड
युवक का नाम टिंकू बताया जा रहा है। 36 साल के टिंकू की बुधवार रात तबीयत बिगड़ गई थी। हल्के बुखार के साथ उल्टी-दस्त होने लगे। ग्रामीण टिंकू को कंधे पर ढोकर 6 किलोमीटर पैदल चले, तब कहीं जाकर युवक को अस्पताल पहुंचाया जा सका। कितने शर्म की बात है कि पहाड़ के दूरस्थ गांवों से ऐसी तस्वीरें लगातार सामने आ रही हैं, लेकिन जनप्रतिनिधियों और अफसरों की नींद नहीं टूट रही। गांव की प्रधान और बीडीसी सदस्य ने कहा कि गांव में सड़क बनाने के लिए वो हर नेता-अफसर से गुहार लगा चुके हैं। हमारा गांव सड़क सुविधा के लिए सभी जरूरी सभी मानकों को पूरा करता है, इसके बावजूद गांव में सड़क आज तक नहीं बन सकी। गांव में किसी की तबीयत बिगड़ती है तो उसे इसी तरह डांडी-कंडी पर ढोकर ले जाना पड़ता है। गर्भवती महिलाओं को कितनी तकलीफ होती होगी, इसका आप अंदाजा भी नहीं लगा सकते, पर क्या करें मजबूरी है। भगवान ऐसे बुरे दिन किसी को ना दिखाए, जैसे हमारे गांव के लोगों को देखने पड़ रहे हैं।