उत्तराखंड चम्पावतInspiring story of a doctor working in champawat Uttarakhand

देवभूमि में ऐसे डॉक्टर भी हैं..कोई नहीं मिला तो खुद किया रक्तदान, बच गई एक मां की जान

चम्पावत के एक निजी अस्पताल में एक गर्भवती की डिलीवरी के बाद उसका काफी अधिक रक्तस्राव होने के बाद अस्पताल के डॉक्टर्स ने खुद का रक्त दान कर प्रसूता की जान बचाई और इंसानियत की मिसाल पेश की..

Champawat News: Inspiring story of a doctor working in champawat Uttarakhand
Image: Inspiring story of a doctor working in champawat Uttarakhand (Source: Social Media)

चम्पावत: धरती पर चिकित्सकों को भगवान का दर्जा दिया गया है। कहा जाता है कि चिकित्सक भगवान की भांति सबकी जान बचाते हैं। इस कथन को साबित किया है चम्पावत के डॉक्टर्स ने। कोरोना की टेंशन के बीच आई यह खबर आपका भी दिल खुश कर देगी। चम्पावत के एक निजी अस्पताल के कुछ डॉक्टर्स ने समाज के आगे मानवता की मिसाल पेश की है। एक गर्भवती महिला को रक्त न मिलने के बाद अस्पताल के डॉक्टर्स ने रक्तदान करके महिला की जान बचाई और साबित किया कि डॉक्टर्स वाकई ईश्वर का रूप होते हैं। जानकारी के मुताबिक चम्पावत निवासी रेशमा खान आठ माह की गर्भवती थीं। बुधवार को रेशमा की तबियत खराब होने पर उसे खटकना पुल स्थित निजी अस्पताल ले जाया गया जहां उसकी हालत गम्भीर बताते हुए हायर सेंटर रेफर कर दिया गया। मगर लॉकडाउन के चलते उसके परिजन हायर सेंटर नहीं ले जाया पाए। बुधवार को देर रात फिर से रेशमा के पेट में दर्द हुआ। हालत बहुत ज्यादा गम्भीर होने की वजह से रेशमा को भर्ती कर लिया गया। डॉक्टर ने उसका चेकअप करने के बाद सिजेरियन से बच्चे की डिलीवरी करने का निश्चय लिया।

ये भी पढ़ें:

गुरुवार की सुबह समय से पहले आठ माह की डिलीवरी करने के बाद अपरिपक्व बच्चे की हालत गंभीर होने पर उसको एनआईसीयू में भर्ती करा दिया। वहीं दूसरी ओर मां की हालत भी खराब होने लगी और उसे अत्यधिक रक्तस्राव हो गया। महिला का बीपी और ब्लड दोनों हद से ज्यादा कम हो गए जिससे डॉक्टर्स बेहद चिंतित हो गए। खून की कमी से ग्रस्त महिला को ए पॉज़िटिव ब्लड की जरुरत थी। ब्लड बैंक में ए पॉजिटिव ब्लड के केवल दो यूनिट मौजूद थे। परिजनों ने भी बहुत प्रयास किया मगर ब्लड डोनर नहीं ढूंढ पाए। महिला की लगातार बिगड़ती हुई हालत को देखते हुए अस्पताल के रेडियोलॉजिस्ट डॉ. प्रदीप बिष्ट, डॉ. योगेश निगम, अस्पताल के प्रबंधक दीपक जोशी, हरीश पांडे और गोविंद चौहान ने पांच यूनिट ब्लड चढ़ाया जिसके बाद महिला की हालत ठीक है। जच्चा और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और इसका पूरा श्रेय अस्पताल के उन जिंदादिल डॉक्टर्स को जाता है जिन्होंने इंसानियत दिखाई और मां की जान बचाई। दोनों के स्वस्थ होने की खबर सुनकर रेशमा के परिवार में खुशी की लहर है और उन्होंने सभी चिकित्सकों और स्टाफ को दिल से धन्यवाद दिया है।