उत्तराखंड देहरादूनBusiness activity stalled due to lockdown in uttarakhand

उत्तराखंड को 10 हजार करोड़ का नुकसान, लॉकडाउन से टूटी अर्थव्यवस्था की कमर

आज नहीं तो कल...कभी ना कभी लॉकडाउन हट जाएगा, लेकिन इसके चलते जो नुकसान हुआ है, उससे देश और प्रदेश को उबरने में लंबा वक्त लगेगा। लॉकडाउन से प्रदेश की अर्थव्यवस्था को लगभग 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है।

Economy of Uttarakhand: Business activity stalled due to lockdown in uttarakhand
Image: Business activity stalled due to lockdown in uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: लॉकडाउन हमें सामाजिक, मानसिक ही नहीं आर्थिक रूप से भी तोड़ रहा है। आज नहीं तो कल...कभी ना कभी लॉकडाउन हट जाएगा, लेकिन इसके चलते जो नुकसान हुआ है, उससे देश और प्रदेश को उबरने में लंबा वक्त लगेगा। नेटवर्क 18 की रिपोर्ट के मुताबिक लॉकडाउन के चलते उत्तराखंड की अर्थव्यवस्था को लगभग 10 हजार करोड़ का नुकसान हुआ है। लॉकडाउन लगे एक महीने से ज्यादा का वक्त हो चुका है, अगले कुछ दिनों तक इसके हटने के आसार भी नहीं दिख रहे। प्रदेश में बड़ी परियोजनाओं का काम ठप है। लॉकडाउन की वजह से प्रदेश को सरकारी राजस्व के तौर पर करीब 1700 करोड़ का नुकसान हुआ है। दूसरे सेक्टरों को भी जोड़ लिया जाए तो ये नुकसान करीब दस हजार करोड़ रूपये है। सूबे में पर्यटन, तीर्थाटन जैसी गतिविधियां बंद हैं। जिस वजह से छोटे-बड़े उद्योगों की कमर टूट गई है। इन सेक्टरों से प्रदेश के लाखों लोगों की आर्थिकी जुड़ी है।

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ये तो हुई नुकसान की बात, लेकिन इकोनॉमी को हुए नुकसान को रिकवर कैसे करना है, अब राज्य सरकार इस पर ध्यान दे रही है। इसके लिए राज्य सरकार ने मंत्रिमंडलीय उपसमिति का गठन किया है। इस समिति का काम लोकल स्तर पर रोजगार के मौके कैसे पैदा किए जाएं, ये देखना है। समिति के अध्यक्ष कृषि मंत्री सुबोध उनियाल हैं। इसके अलावा राज्यमंत्री धन सिंह रावत और राज्य मंत्री रेखा आर्य इस समिति के सदस्य हैं। समिति नुकसान का आंकलन करेगी, रोजगार के मौके कैसे पैदा किए जा सकते हैं ये भी देखेगी। इसके बाद कमेटी विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर मुख्यमंत्री को देगी। कुल मिलाकर राज्य को लॉकडाउन से हुए नुकसान से उबारना सरकार के सामने बड़ी चुनौती है। राजकीय प्रवक्ता मदन कौशिक ने कहा कि अगर प्रदेश में उद्योग-धंधे और कंस्ट्रक्शन के काम खुलते हैं तो आने वाले समय में प्रदेश की आर्थिकी को पटरी पर लाया जा सकता है। हम इस दिशा में लगातार काम कर रहे हैं।