उत्तराखंड अल्मोड़ाStory of martyr dinesh singh of almora

उत्तराखंड: इकलौता बेटा आतंकी मुठभेड़ में शहीद, अगले महीने घर आने का वादा किया था

शहीद दिनेश...सिर्फ 25 साल की उम्र में इस सपूत ने देश के लिए जान दे दी। उसने पिता से अगले महीने घर आने का वादा किया था।

Uttarakhand martyr: Story of martyr dinesh singh of almora
Image: Story of martyr dinesh singh of almora (Source: Social Media)

अल्मोड़ा: उत्तराखंड एक बेटा फिर से मातृभूमि के लिए कुर्बान हो गया। जब आप लॉकडाउन के बीच अपने घरों में बैठें और सरकारों को कोस रहे हैं...तो उसी बीच कुछ लोग हैं, जिन्हें न लॉकडाउन की फिक्र है, ना कोरोनावायरस की...उन्हें फिक्र है तो सिर्फ अपने देश की..बात उन जांबाजों की जिन्होंने देश को सब कुछ माना है। बीते दो दिनों में उत्तराखंड ने अपने तीन वीर सपूतों को गंवा दिया है। बीते एक महीने में उत्तराखंड के 5 जवान शहीद हो गए।
रुद्रप्रयाग के देवेंद्र सिंह राणा
पौड़ी गढ़वाल के अमित अंथवाल
पिथौरागढ़ के नायक शंकर सिंह
पिथौरागढ़ के हवलदार गोकर्ण सिंह चुफाल
अल्मोड़ा के दिनेश सिंह

  • शहीद दिनेश गांव - मिर

    Uttarakhand Martyr Dinesh Singh Gaura
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    अल्मोड़ा के मिर गांव की ये तस्वीरें देखिए..ये 25 साल के उस लड़के का गांव है, जहां आज शोक पसरा है। जम्मू-कश्मीर के हंदवाड़ा में भारतीय सेना और आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ में सेना के कर्नल और मेजर समेत 5 जवान शहीद। शहीदों में उत्तराखंड की गिनती न हो...ये कैसे संभव है? इनमें से एक जवान उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले का रहने वाला है।

  • शहीद दिनेश का गांव - मिर

    Uttarakhand Martyr Dinesh Singh Gaura
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    भनोली तहसील के मिर गांव के लांस नायक दिनेश सिंह भी इस मुठभेड़ में शहीद हो गए। शहीद दिनेश सिंह गैड़ा की उम्र महज 25 साल थी। वो साल 2015 में सेना में भर्ती हुए थे और अपने परिवार के इकलौते बेटे थे। दिनेश इन दिनों जम्मू कश्मीर के हंदवाड़ा में तैनात थे। शहीद की एक बहन है जिसकी शादी हो चुकी है। वो पिछले साल दिसम्बर महीने में छुट्टी पर घर आया था। इस साल दिनेश जून में यानी अगले महीने घर आने वाला था। 2 दिन पहले ही पिता ने अपने बेटे से फोन से बात की थी। बेटे ने कहा था- मैं जल्द घर आउंगा। बेटा जल्द आएगा...लेकिन तिरंगे में लिपटकर...जय हिंद