उत्तराखंड रुद्रप्रयागGuptakashi sankri village bhupendra rana leavs home for parents

गढ़वाल: सांकरी गांव के भूपी ने पेश की मिसाल..घर छोड़कर मां-पिता को किया क्वारेंटाइन

गुप्तकाशी के सांकरी गांव में एक युवक ने माता-पिता को होम क्वारंटाइन करने के लिए घर छोड़ कर समाज के आगे समर्पण और हौसले की नई मिसाल पेश की है। उनकी इस अनूठी पहल को खूब सराहा जा रहा है-

Bhupendra Singh Rana Guptkashi: Guptakashi sankri village bhupendra rana leavs home for parents
Image: Guptakashi sankri village bhupendra rana leavs home for parents (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड में दिलदार लोगों की कमी नहीं है। उत्तराखंड के अधिकांश युवा वर्ग के मन में माता-पिता को लेकर असीम प्रेम और समर्पण का भाव है। समर्पण का संचार आपके अंतर्मन के द्वारा होता है। माता पिता को लेकर समर्पित यह युवा वर्ग उनको किसी भी तकलीफ में नहीं देखना चाहता। साथ ही साथ परिस्थितियों को संभालना भी उनको बखूबी आता है। हौसला और हिम्मत ऐसी जिसका कोई जवाब नहीं है। शायद यही पहाड़ियों की खास बात है। सम्पर्ण का भाव और हौसला उनकी रगों में दौड़ता है। ऐसी ही जिंदादिली और समर्पण का जीता-जागता उदाहरण दिया है रुद्रप्रयाग स्थित गुप्तकाशी के सांकरी गांव निवासी युवक भूपेंद्र सिंह राणा ने। उन्होंने लॉकडाउन के दौरान अपने माता-पिता को होम क्वारंटाइन करने के लिए घर छोड़ दिया। आगे पढ़िए...

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ऐसे लोगों से उम्मीद का संचार होता है। इन्हीं युवाओं से पहाड़ों को उम्मीदें हैं। आइये आपको बताते हैं कि भूपेंद्र सिंह राणा ने किस तरह से लॉकडाउन के नियमों का पालन किया और उम्रदराज माता-पिता के लिए घर छोड़ कर समाज के आगे उदाहरण पेश किया। इस बात से तो सब वाकिफ ही होंगे कि उत्तराखंड सरकार इस समय राज्य के ही दूसरे जिलों और बाहरी राज्यों में फंसे लोगों को राज्य वापस लाने की तैयारी में जुट रखी है। गुप्तकाशी के सांकरी गांव के युवा भूपेंद्र सिंह राणा के माता-पिता पुष्कर सिंह राणा और इंद्रा देवी भी दवाई लेने के लिए देहरादून गए थे जिसके बाद लॉकडाउन लग गया और दोनों वहीं फंस गए। हाल ही में सरकार द्वारा छेड़ी हुई मुहिम के तहत दोनों जन देहरादून से सांकरी पहुंचे हैं। यह तो सब जानते हैं कि बाहर से आए सभी व्यक्तियों को 14 दिनों के लिए क्वारंटाइन किया जा रहा है।

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नियमानुसार भूपेंद्र के माता-पिता को भी क्वारंटाइन करने की बात आई तो वह थोड़ा टेंशन में आ गए। बता दें कि भूपेंद्र नहीं चाहते थे कि उनके बीमार पिता और माता को किसी भी प्रकार की समस्या का सामना करें। जिसके बाद उन्होंने फैसला लिया कि वह खुद घर छोड़ कर अपने उम्र दराज मां-पिता को होम क्वारंटाइन करेंगे। जी हां, नियमानुसार अगर कोई बाहर से घर आता है और घर में अलग रहने-खाने की व्यवस्था है तो वह होम क्वारंटाइन किया जा सकता है। अब भूपेन्द्र के माता-पिता दोनों अपने घर में सभी सुविधाओं के साथ 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन हो रखे हैं वहीं भूपेंद्र फिलहाल दूसरों के घर रह रहा है। माता-पिता को कोई तकलीफ न हो इसलिए भूपेंद्र ने यह निर्णय लिया जिसकी बहुत सराहना हो रही है। माता-पिता को कोई कष्ट न देते हुए उन्होंने लॉकडाउन के नियमों का पालन भी किया जो कि काबिल-ए-तारीफ है। उनकी इस अनूठी पहल को दिल से सलाम।