देहरादून: 45 साल बाद चीन ने हिंदुस्तान को एक बार फिर धोखा दिया। लद्दाख में बातचीत करने गए भारतीय जवानों पर चीन की सेना ने हमला किया। ये हमला लाठियों, पत्थरों और धारदार तारों से किया गया था। इसमें भारत के कमांडिंग अफसर समेत 20 जांबाज़ जवान शहीद हो गए। अब खबर है कि हमले में घायल 4 जवानों की हालत बहुत ज्यादा गंभीर है। दुनिया की दो एटमी ताकतों के बीच 3 घंटे चली ये झड़प गालवन वैली में हुई। वहीं गालवन जहां 1962 की जंग में 33 भारतीयों की जान गई थी। हालांकि इस बीच चीन के 43 सैनिकों के हताहत होने की खबर है। अब तक चीन ने इस बात को कबूल नहीं किया है। इस बीच इस मामले पर राजनीति शुरू हो गई है। राहुल गांधी ने कहा है कि आखिर प्रधानमंत्री कहां हैं, और क्यों छुपे हुए हैं? इसके अलावा कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने ट्वीट किया है कि मोदी की विदेश यात्राएं कितनी सफल रही इसका प्रमाण दें? आपको बता दें कि 20 अक्टूबर 1975 को अरुणाचल प्रदेश के तुलुंगला में चीन ने असम राइफल की पेट्रोलिंग पार्टी पर धोखे से हमला किया था। उस वक्त भारत के 4 जवान शहीद हुए थे। अब 45 साल बाद चीन बॉर्डर पर ही हमारे सैनिकों की शहादत हुई है।
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चीन से जारी तनाव के बीच हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति और किन्नौर जिले में अलर्ट घोषित किया गया है। इन जिलों की सीमाएं चीन से लगती हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई के मुताबिक, इस कवायद का मकसद स्थानीय लोगों को खतरे से बचाना और खुफिया जानकारी जुटाना है। पुलिस ने कहा कि लोगों की हिफाजत के लिए तमाम जरूरी कदम उठाए गए हैं।