रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में प्रशासनिक लापरवाही का एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने पूरे गांव को कोरोना संकट की जद में ला खड़ा किया है। दरअसल रुद्रप्रयाग की के किरोड़ा (जखोली) गांव में एक व्यक्ति की रिपोर्ट कोरोना पॉजिटिव आयी है, जो कि तहसील में कार्यरत हैं। हैरानी की बात यह है कि सेंपल लिए जाने और रिपोर्ट आने के 3-4 दिनों में इस कर्मचारी को न तो संस्थागत क्वारन्टीन किया गया और न ही होम क्वारन्टीन के लिए सूचना ग्राम प्रधान व नोडल अधिकारी को दी गयी। इसका परिणाम ये रहा कि उक्त संक्रमित पाया गया कर्मचारी इन दिनों में सामान्य रूप से लोगों से मिलते रहे। अब जब रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो गांव में लोग हलकान हैं। हैरानी की बात है कि रिपोर्ट पॉजिटिव आने के बाद भी केवल 10-12 लोगों को ही क्वारन्टीन के लिए ले जाया गया है जबकि इस बीच वे कम से कम 100 से अधिक लोगों के सम्पर्क में आये बताए जा रहे हैं। और जिन 10-12 लोगों को प्रशासन ले भी गया है उनके परिवारों व सम्पर्क में आये हुए लोगों की निगरानी हेतु कोई व्यवस्था प्रशासन ने नही की है व उनकी किसी भी प्रकार की सैंपलिंग भी नही की गई है। आगे पढ़िए
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इस घटना के बाद पूरे गाँव मे लोग डर गए है। और उनका डर जायज भी है। इस घटना में दिख रही प्रशासनिक लापरवाही ने एक पूरे गाँव को संकट में डाल दिया है जबकि प्रशासन को पॉज़िटिव रिपोर्ट आने के बाद तत्काल गाँव को सील करना चाहिए था और संक्रमित मरीज के सम्पर्क में आये लोगों की तुरंत जाँच की जानी चाहिए थी व गाँव को सेनेटाइज़ करने जैसे प्राथमिक काम तत्काल किये जाने चाहिए थे लेकिन इन में से अभी तक कुछ भी नही हुआ है। इस पर ग्रामीणों की ओर से गढ़वाल विश्वविद्यालय के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष अंकित उछोली ने जिलाधिकारी से मांग की है कि तत्काल गाँव में स्वास्थ्य विभाग की टीम को भेजा जाए और सम्पर्क में आये सभी लोगों की जाँच की जाय, जरूरत के अनुसार गाँव के लोगों को संस्थागत/होम क्वारन्टीन किया जाय और गाँव के लोगों में बैठे डर को दूर किया जाय।