: उत्तराखंड में गुलदार का खौफ बरकरार है। अलग-अलग जिलों में गुलदार अबतक कई लोगों को अपना निवाला बना चुका है। लोग डर-डर कर रहने पर मजबूर हैं। वहीं वन विभाग भी तभी कार्यवाही शुरू करता है जब कुछ अनहोनी घट जाती है। यह दुविधा है कि अबतक पहाड़ों पर ग्रामीण क्षेत्रों में वन विभाग जंगली जानवरों के खौफ को काबू नहीं कर पाया है। सबसे बड़ी समस्या तो यही है कि जबतक जानवर किसी गांव में एक दो लोगों को अपना निवाला नहीं बना लेते हैं तबतक वन विभाग नींद से नहीं जागता है। गुलदार के खौफ की एक ऐसी ही घटना पौड़ी गढ़वाल जिले से सामने आई है जहां वन विभाग की लापरवाही साफ देखने को मिली है। ग्रामीणों द्वारा वन विभाग को सूचित किए जाने के बावजूद भी वन विभाग ने समय रहते उचित कार्यवाही नहीं कि, और ग्रामीणों जिसका डर था वही हुआ। गुलदार ने बीते शुक्रवार की रात गांव की एक 16 साल की बच्ची के ऊपर जानलेवा हमला करने की कोशिश की जिसके बाद गांव में कोहराम मचा हुआ है।
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बीते शुक्रवार की रात पौड़ी गढ़वाल जिले के घंडियाल मल्ला पोखड़ा ब्लॉक में ग्रामीणों की नींद उड़ गई। ग्रामीण काफी समय से गुलदार के खौफ के बीच जी रहे हैं और वह ऐसी डर भरी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। ऐसे में बीती रात गुलदार ने उनके बीच के पल रहे खौफ को दोगुना कर दिया। बीती रात को 16 वर्षीय बालिका को गुलदार ने अपने हमले से बुरी तरह घायल कर दिया। गनीमत रही कि हमले के दौरान सब लोग वहां मौजूद थे इसलिए गुलदार ने पीड़िता की जान नहीं ली। वरना बालिका उसका अगला निवाला बन जाती। बता दें बालिका अपनी बुआ के घर आ रखी थी और रात में तकरीबन 9:30 बजे बालिका सभी लोगों के साथ आंगन में बैठ रखी थी। तभी अचानक वहां गुलदार आ धमका। पहले से ही घात लगा कर बैठे गुलदार ने मौका मिलते ही बालिका के ऊपर जानलेवा हमला कर दिया। आगे पढ़िए
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वहां उपस्थित परिजनों ने शोरगुल मचाया जिसके बाद गुलदार ने बच्ची को अपने चंगुल से छोड़ा और वापस जंगल की ओर भाग गया। जिसके बाद वहां अफरा-तफरी मच गई। आनन-फानन में बालिका को स्वास्थ्य केंद्र ले जाया गया जहां उपचार के बाद बच्ची घर वापस आ गई है। घटना के बाद से ही गांव में हड़कंप मचा हुआ है और भय के साथ ही लोगों के बीच आक्रोश भी साफ झलक रहा है। ऐसा इसलिए क्योंकि गांव में ग्रामीण मादा गुलदार को उसके दो बच्चों के साथ काफी दिनों से घूमते हुए देख रहे हैं। ग्रामीणों ने इस बात की लिखित सूचना पहले ही वन विभाग को दे दी थी। कायदे से वन विभाग को सूचना मिलने के बाद तुरंत ही बिना देरी किए गुलदार को पकड़ने के लिए जाल बिछा देना चाहिए था ताकि गांव में किसी भी प्रकार की अनहोनी न हो। मगर यह दुर्भाग्य है कि वन विभाग भी तभी गहरी नींद से जागता है जबतक एक-दो लोग गुलदार का शिकार नहीं हो जाते। इस घटना में वन विभाग की लापरवाही साफ झलक रही है और इस मामले में जल्द से जल्द सख्त कार्यवाही होनी चाहिए।