उत्तराखंड बागेश्वरYouth opened school in Bageshwar

उत्तराखंड की सुखद तस्वीर..लॉकडाउन में गांव लौटे युवाओं ने गांव में ही खोल दी पाठशाला

मिलिए बागेश्वर जिले के प्रवासी युवाओं से जो इस समय अपने गांव में वापस लौट चुके हैं और प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को प्रतिदिन मुफ्त में पढ़ाने का नेक काम कर रहे हैं।

Bageshwar News: Youth opened school in Bageshwar
Image: Youth opened school in Bageshwar (Source: Social Media)

बागेश्वर: कोरोना वायरस के कारण हम सबकी जिंदगी सिमट कर रह गई है। अधिकतर काम ऑनलाइन हो रहे हैं। इस बीच ऑनलाइन शिक्षा के लिए एक अच्छा इंटरनेट कनेक्शन स्मार्टफोन या फिर लैपटॉप होना बहुत जरूरी है। हमें यह चीज ध्यान में रखनी चाहिए कि शहरों के साथ-साथ गांव में भी बच्चे पढ़ने की चाहत रखते हैं। तो क्या उन बच्चों तक शिक्षा पहुंच पा रही है? क्या ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बच्चे ऑनलाइन शिक्षा जैसी सुविधा का फायदा ले पा रहे हैं? जी नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले बच्चों को सबसे अधिक चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। पहाड़ों पर वैसे ही शिक्षा की हालत दयनीय है। उसके ऊपर से स्कूलों के बंद होने से कई बच्चों की पढ़ाई ठप हो गई है। ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक परिस्थितियां अच्छी नहीं हैं। जिस वजह से लोग स्मार्टफोन जैसी मूलभूत जरूरत भी अफॉर्ड नहीं कर पाते हैं। इस तरह कई बच्चे महीनों से पढ़ाई से दूर हो रखे हैं। उनको पढ़ाने वाला कोई नहीं है। ऐसे में कई लोग उदाहरण बनकर सामने आए हैं। वे लोग जिन्होंने इन बच्चों की मदद करने की ठानी है। हम बात कर रहे हैं बागेश्वर जिले के उन प्रवासी युवाओं की जो इस समय अपने अपने गांव में वापस लौट चुके हैं। आगे पढ़िए

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इन युवाओं ने प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले बच्चों को पढ़ाने का जिम्मा अपने कंधों पर लिया है। जी हां, सिमी नरगगोल गांव में वापस लौटे प्रवासी युवक आजकल गांव के बच्चों को मुफ्त में पढ़ा कर अपना दायित्व पूरा कर रहे हैं और समय का बेहतरीन तरीके से सदुपयोग कर रहे हैं। सिमी नरगगोल गांव के निवासी चंद्रशेखर पांडे ने बताया कि प्रवासी पुष्कर सिंह, मदन सिंह, राजेंद्र सिंह लॉकडाउन के बाद से ही अपने घर वापस आ गए थे। घर वापसी के बाद ही उन्होंने तय किया था कि लॉकडाउन में समय का सदुपयोग करेंगे। उसी दौरान स्कूल बंद होने के साथ ही बच्चों को पढ़ाई में काफी चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा था। बस फिर क्या था, उन युवाओं ने उन बच्चों को मुफ्त में पढ़ाने की ठानी। इन दिनों वे ग्राम प्रधान के निवास पर शाम को 4 बजे से लेकर 8 बजे तक गांव के सभी बच्चों को पढ़ाते हैं। वे तीसरी कक्षा से लेकर दसवीं कक्षा तक के बच्चों को मुफ्त में शिक्षा प्रदान कर रहे हैं। उनकी इस पहल से गांव के सभी अभिभावक भी बेहद खुश हैं और सभी युवाओं की बेहद सराहना की जा रही है।