उत्तराखंड चमोलीHealth care in Chamoli district

गढ़वाल की ये तस्वीर सिस्टम के मुंह पर तमाचा है, 21वीं सदी में इस बदहाली का जवाब कौन देगा?

चमोली के ईराणी गांव में सड़क जैसी मूलभूत सुविधा न होने के कारण बीते शनिवार को एक बीमार महिला को कुर्सी में उठा कर गांव के युवाओं द्वारा 8 किलोमीटर पैदल पहाड़ चढ़ कर उनको अस्पताल पहुंचाया गया।

Chamoli News: Health care in Chamoli district
Image: Health care in Chamoli district (Source: Social Media)

चमोली: शहरों में पक्की सड़कें होना बेहद आम बात है। और हो भी क्यों न, सड़क एक मूलभूत जरूरत है और यह हर आम आदमी का अधिकार है। मगर सोचने वाली बात यह है कि क्या यह मूलभूत जरूरत उत्तराखंड के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे लोगों को मिल पा रही है? गांव में सड़क मात्र सड़क नहीं होती है सड़क कई लोगों का सपना होती है, कई लोगों की उम्मीदें होती है। मगर दुर्भाग्य की बात तो यह है कि उत्तराखंड के कई ग्रामीण क्षेत्र अभी ऐसे हैं जो सड़क जैसी मूलभूत सुविधा से वंचित हैं। हर चुनाव में नेता आते हैं और उनसे वादा करते हैं कि वहां पर पक्की सड़कें बन जाएंगीं मगर चुनाव के खत्म होते ही वह वादे भी ओझल हो जाते हैं और सिस्टम गहरी नींद में सो जाता है। आजादी के इतने सालों बाद भी और उत्तराखंड के राज्य के निर्माण के कई वर्षों के बाद भी यह दुर्भाग्य है कि सरकार अपने गांवों के निवासियों को एक सड़क जैसी मूलभूत सुविधा तक नहीं दे पाई है। कई गांव ऐसे हैं जहां पर सड़क ना होने की वजह से कोई बीमार होता है तो उसको डोली या पालकी में बैठा कर पैदल चलकर कई किलोमीटर पहाड़ चढ़कर अस्पताल पहुंचाना पड़ता है। आखिर हम यह किस दिशा की ओर अग्रसर हो रहे हैं? एक ओर हम विकास की बात करते हैं, उत्तराखंड के अंदर मूलभूत जरूरतों की बात करते हैं मगर राज्य के ग्रामीण क्षेत्र राज्य की सच्चाई बताते हैं।

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ऐसी ही एक शर्मनाक खबर उत्तराखंड के चमोली जिले से सामने आ रही है। चमोली जिले के ईराणी गांव के ग्रामीणों को सड़क न होने के कारण भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। गांव में अगर आज भी कोई बीमार हो जाता है, या किसी गर्भवती को डिलीवरी के लिए अस्पताल में ले जाना पड़ता है तो गांव में उनके जाने के लिए लिए कोई भी सुविधा नहीं है। सड़क न होने के कारण अब भी चमोली के ईराणी गांव के अंदर बीमारों को डोली या पालकी में बिठाकर ही कई किलोमीटर चढ़कर पहाड़ पार करने पड़ते हैं। बीते शनिवार को गांव की एक 25 वर्षीय महिला जमुना देवी की तबीयत अचानक खराब हो गई जिसके बाद गांव के युवा जमुना देवी को 8 किलोमीटर पैदल कुर्सी की पालकी बनाकर उनको ढोकर सड़क तक लेकर गए। वहां से वाहन के जरिए उनको 25 किलोमीटर दूर जिला अस्पताल में पहुंचाया गया। फिलहाल महिला की हालत में थोड़ा सुधार बताया जा रहा है। इससे मरीजों की जान के ऊपर हमेशा खतरा मंडराता रहता है।

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पिछले दिनों क्षेत्र में भारी बारिश होने के कारण सभी सड़क और मार्ग क्षतिग्रस्त हो रखे हैं। इस क्षेत्र में ईराणी, पाणा, झींझी समेत 12 से अधिक ऐसे गांव हैं जहां वर्षों से सड़क निर्माण कार्य नहीं हो पाया है और ग्रामीणों को यातायात की सुविधा का लाभ नहीं मिल पा रहा है। चमोली के निवासी ऐसी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं। सड़क की मांग को लेकर ग्रामीण शासन से लेकर प्रशासन तक के कई बार चक्कर काट चुके हैं मगर शायद सिस्टम अभी तक नींद से जागा ही नहीं है। यह सत्य है कि सड़क न बनने से सबसे अधिक चुनौती मरीजों के लिए ही सामने आती है। ईरानी के ग्राम प्रधान मोहन सिंह नेगी का यह कहना है कि वर्षों से गांव में सड़क निर्माण का कार्य लंबित है। 3 जगह पर पुल निर्माण होना है। पुल निर्माण न होने के कारण गांव तक सड़क आज भी नहीं पहुंच पाई है जिस कारण किसी को अस्पताल पहुंचाने के लिए गांव के युवाओं को डोली या पालकी का इस्तेमाल करना पड़ता है। अगर गांव में सड़क बनी होती 108 आपात से मरीजों को गांव तक पहुंचा दिया जाता और मरीज को कंधे पर या डोली में बिठाकर ढोकर ले जाने की मजबूरी भी नहीं होती। गांव के निवासी बताते हैं कि सड़क ना होने से मरीजों की जिंदगी हमेशा दांव पर लगी रहती है और उनको भारी समस्याओं का सामना भी करना पड़ता है।