उत्तराखंड चमोलीNarayanbagar Chopta Government School

पहाड़ में ऐसे शिक्षक भी हैं, अपने दम पर बदहाल स्कूल को बना दिया मॉडल स्कूल

अध्यापकों की मेहनत लाई रंग,बदल डाली सुदूर गांव के प्राथमिक विद्यालय की तस्वीर...शहर के विद्यालय की चमक भी गांव के इस स्कूल आगे फीकी

Chamoli News: Narayanbagar Chopta Government School
Image: Narayanbagar Chopta Government School (Source: Social Media)

चमोली: जी हां यह सरकारी स्कूल मात्र रंग रोगन से ही सुंदर नहीं दिख रहा है, बल्कि स्कूल को इस स्वरूप तक लाने में यहां के शिक्षकों की 5 वर्षों की मेहनत है । नारायण बगड़ विकासखंड से 26 किलोमीटर दूर चोपता और आसपास के गांव को उत्तरीकडाकोट पट्टी के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र में राजकीय आदर्श प्राथमिक विद्यालय चोपता की सोशल मीडिया पर आई तस्वीरों के बाद स्कूल चर्चा में है हर कोई इसे संवारने वालो की तारीफों के कसीदे ही पढ़ रहा है और इसे जमकर शेयर भी किया जा रहा है। स्कूल को यह स्वरूप देने में लगे शिक्षक नरेंद्र भंडारी जो कि प्रभारी प्रधानाचार्य का पद भी देख रहे हैं, परमानंद सती, गजपाल नेगी एवं अंजलि रतूड़ी की मेहनत लगी है। यूं तो यहां आजादी से पूर्व 1901 में ही प्राथमिक विद्यालय खुल चुका था, जो कि उत्तरीकडाकोट पट्टी का तात्कालिक शिक्षा का केंद्र भी था। इसी विद्यालय के शिक्षक परमानंद सती बताते हैं कि वर्ष 2004 -05 में ही विद्यालय का भवन बनकर तैयार हो चुका था।

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वर्ष 2016 में विद्यालय को आदर्श विद्यालय का दर्जा मिला, लेकिन संसाधन नहीं थे । बस यही से शिक्षकों की टीम ने काम शुरू किया और आज सार्थक परिणाम सबके सामने हैं । सर्वप्रथम शिक्षकों ने यहां स्वयं के दान से विद्यालय कोष की स्थापना की, और अभिभावकों को भी इससे जोड़ा। विद्यालय में केंद्रीय विद्यालय की तर्ज पर ड्रेस कोड शुरू किया गया और बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा का सिलसिला देने की योजना बनाई गई। योजना के अनुसार यहां बच्चों को इस प्रकार की शिक्षा दी गई कि बच्चे नवोदय विद्यालय एवं हिम ज्योति जैसे स्कूलों में प्रवेश पा सके। परिणाम सार्थक रहे अभी तक 11 बच्चे नवोदय विद्यालय एवं दो बालिकाएं हिम ज्योति स्कूल देहरादून में पढ़ रही है। यही नहीं विद्यालय की प्रबंध समिति के अध्यक्ष यशवंत रावत भी तन मन से इस कार्य में लगे रहे। इन सभी प्रयासों के बाबजूद भी उन्हें कि कुछ ऐसा किया जाना चाहिए कि विद्यालय तक शिक्षा विभाग के अधिकारियों एवं सरकार की नजर पड़े, ताकि विद्यालय को सरकारी मदद से और अधिक बेहतर बनाया जा सके।

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तब विद्यालय कोष से ही प्रोजेक्टर एवं डिजिटल बोर्ड खरीदा गया ,और स्कूल में स्मार्ट क्लासेस की शुरुआत की गई। इसके भी परिणाम सार्थक रहे। पिछले वर्ष विद्यालय के छात्रों का प्रदेश स्तर पर गणित ओलंपियाड, सामान्य ज्ञान एवं निबंध आदि के लिए चयन हुआ है। विद्यालय की प्रगति को देखने के बाद विद्यालय को चुनिंदा विद्यालयों की सूची में स्थान मिला, और उसे शिक्षा विभाग की ओर से विद्यालय रूपांतरण हेतु फंड जारी हुआ। अध्यापकों की पूरी टीम ने मनोयोग से फंड से स्कूल पर रंग रोगन गई। करोना महामारी के दौरान लोकडाउन के बाद के समय का उपयोग कार्य कराया गया। विद्यालय पर किस प्रकार की चित्रकारी हो के लिए भी इंटरनेट के माध्यम से चित्रकार की खोज की गई, और आगरा से अनुज कुमार को इस कार्य के लिए बुलाया गया। शिक्षक साथी बताते हैं कि विद्यालय में प्रतिदिन छह अलग-अलग राज्यों की भाषाओं में प्रार्थना होती है। बच्चों के पास ब्लेजर, टाई, स्पोर्ट्स ड्रेस,आई कार्ड की सुविधा है। सभी कक्षा कक्षा में पंखे लगे हुए हैं। आधुनिक सुविधाओं युक्त किचन, छात्र छात्राओं के लिए अलग-अलग टॉयलेट, पीने के पानी के टैंक जिसमें 9 टोटियां लगाई गई हैं। बच्चों को दोपहर भोजन हेतु डाइनिंग टेबल की सुविधा है । वर्तमान में स्कूल में बच्चों को गुणवत्ता युक्त शिक्षा दी जा रही है। नारायणबगड़ के खंड शिक्षा अधिकारी खुशाल सिंह टोलिया का कहना है कि स्कूल के शिक्षकों ने विद्यालय रूपांतरण फंड का बेहतर उपयोग किया है । दूरस्थ क्षेत्र के आदर्श स्कूलों में यह स्कूल विकासखंड में ही नहीं प्रदेश में भी अव्वल रहेगा,वहां के शिक्षकों की मेहनत प्रेरणास्रोत है अन्य स्थानों पर भी इस तरह के प्रयोग किए जाने चाहिए।