उत्तराखंड देहरादूनNegligence of Health Department in Dehradun

उत्तराखंड: डेढ़ महीने पहले हो गई कोरोना से मौत..स्वास्थ्य विभाग ने अब पूछा- मरीज कैसा है?

उत्तराखंड में जिस व्यक्ति की मौत तकरीबन डेढ़ महीने पूर्व हो गई है उसके परिवार वालों को अब जिम्मेदार विभागों की ओर से फोन करके मरीज के स्वास्थ्य के बारे में पूछा जा रहा है।

Dehradun News: Negligence of Health Department in Dehradun
Image: Negligence of Health Department in Dehradun (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड में एक तरफ यह चिंता है कि कोरोना को कंट्रोल में कैसे लाया जाए, वहीं दूसरी तरफ प्रशासन द्वारा की जा रही लापरवाही का एक बड़ा पहलू सामने आया है। कोरोना मरीजों की सर्विलांस एवं डाटा एंट्री में उत्तराखंड के अंदर किस हद तक लापरवाही बरती जा रही है इसका अंदाजा आपको इस खबर से मिल जाएगा। एक तरफ उत्तराखंड में कोरोना अपने चरम पर है। वहीं दूसरी ओर उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग द्वारा आंकड़ों में एवं डाटा में जिस तरह की गड़बड़ी हो रही है वह बेहद चिंताजनक है। एक खबर के मुताबिक देहरादून में जिस व्यक्ति की मौत तकरीबन डेढ़ महीने पूर्व हो गई है उसके परिवार वालों को अब जिम्मेदार विभागों की ओर से फोन करके मरीज की हालत के बारे में पूछा जा रहा है। जी हां, उत्तराखंड में स्वास्थ्य विभाग द्वारा इस कदर लापरवाही होगी ऐसा किसी ने भी नहीं सोचा था। बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या उत्तराखंड में इस तरह से कोरोना को मात दी जाएगी? वहीं मृतक के परिवार सिस्टम के इस कार्यप्रणाली से बेहद नाराज हो रखे हैं।

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लाइव हिन्दुस्तान की खबर के मुताबिक देहरादून के एक प्रतिष्ठित व्यापारी परिवार में 2 लोगों के अंदर सितंबर में कोरोना की पुष्टि हुई थी। उनमें से एक 55 वर्षीय व्यक्ति की एक निजी अस्पताल में तकरीबन डेढ़ महीने पूर्व 15 सितंबर को मृत्यु हो गई थी और दूसरे का दिल्ली के अस्पताल में तकरीबन 20 दिनों तक इलाज चल रहा था। वहीं उनके परिजनों को बीते मंगलवार को पुलिस एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से फोन किया गया। फोन पर स्वास्थ्य विभाग के सवाल को सुनकर मृतक के परिवार वाले बेहद नाराज हो गए। स्वास्थ्य विभाग ने पूछा कि जिस सदस्य की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, अब उनकी तबीयत कैसी है और वह होम आइसोलेशन में हैं कि नहीं। जब परिजनों ने फोन करने वाले अधिकारी से मरीज की आईडी पूछी तो मिलान होने पर उन्होंने जानकारी दी कि जिस मरीज के हालचाल वे पूछ रहे हैं उनकी डेढ़ महीने पहले ही उपचार के दौरान मृत्यु हो गई है।

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फोन पर तबीयत पूछने वाले मेडिकल अधिकारी ने पीड़ित परिवार से माफी मांगी और उन्होंने कहा कि तकनीकी कारणों से गलत डाटा एंट्री हो जाने की वजह से ऐसा हुआ है। वहीं इस घटना से उत्तराखंड की स्वास्थ्य सुविधाओं के ऊपर एक बड़ा सवाल उठता है। उत्तराखंड में किस हद तक लापरवाही की जा रही है इससे साफ तौर पर स्पष्ट हो गया है। अस्पताल एवं पुलिस की गाइडलाइंस के मुताबिक किसी की कोरोना के कारण मृत्यु होती है तो उसका डाटा रिकॉर्ड में दर्ज किया जाता है। मगर इस बड़ी लापरवाही के बाद एक सीरियस प्रश्न यह उठता है कि क्या कोरोना के कारण अपनी जान गंवा रहे मरीजों का ठीक डाटा सरकार के पास है ही नहीं? वहीं जिला सर्विलांस अधिकारी डॉ राजीव दीक्षित ने इन तमाम आरोपों को गलत बताते हुए कहा है कि मरीजों को सर्विलांस करने में किसी भी तरह की दिक्कत नहीं आती है। हर मरीज का सर्विलांस कर होम आइसोलेशन या लक्षण होने पर अस्पताल और कोविड-19 सेंटर में भर्ती कराया जा रहा है। हर एक केस के डाटा की भी मांग की जाती है। तकनीकी कारणों से डाटा मैपिंग के दौरान दोबारा इन मरीजों की जानकारी पोर्टल पर दिखाई देने के बाद ही सर्विलांस टीम ने पीड़ित परिवार से संपर्क किया होगा। वहीं परिजनों ने इस बात पर नाराजगी व्यक्त कर सिस्टम में सुधार करने की मांग की है उन्होंने कहा है कि जब मरीज की मृत्यु 15 सितंबर को ही हो गई थी तो अब उनसे फोन करके जानकारी लेने का क्या मतलब है। मृतक संक्रमित के परिजनों की शिकायत है कि यह साफ तौर पर स्वास्थ्य विभाग की एक बड़ी लापरवाही है।