उत्तराखंड रुद्रप्रयागTungnath temple to be preserved as heritage

देवभूमि में दुनिया का सबसे ऊंचा शिव मंदिर..अब विरासत के रूप में संरक्षित होगा तुंगनाथ

विश्व के सबसे ऊंचे शिवालय तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के प्राचीन मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित किया जाएगा।

Tungnath Temple: Tungnath temple to be preserved as heritage
Image: Tungnath temple to be preserved as heritage (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: उत्तराखंड देवभूमि अपने मन्दिरों और देवस्थानों के लिए जाती है। यहां के लोगों का देवी-देवताओं के ऊपर विश्वास ही राज्य की धरोहर है। राज्य में कई ऐसे मंदिर मौजूद हैं जो सैकड़ों साल से अस्तित्व में हैं। इतिहास में जिनका नाम दर्ज है और जिनमें आज भी लोगों की श्रद्धा है। ऐसा ही एक विश्व प्रसिद्ध मंदिर रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। जी हां, हम बात कर रहे हैं विश्व भर में प्रसिद्ध तृतीय केदार तुंगनाथ की। विश्व के सबसे ऊंचे शिवालय तृतीय केदार भगवान तुंगनाथ के प्राचीन मंदिर को राष्ट्रीय महत्व की विरासत के रूप में संरक्षित किया जाएगा। अगले वर्ष से मंदिर के सभामंडप के संरक्षण का कार्य शुरू होगा। मंदिर व परिसर के संरक्षण के लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा गया है। आगे पढ़िए

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गढ़वाल के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित तुंगनाथ मंदिर जो कि तुंगनाथ पर्वत पर स्थित है। तुंगनाथ मंदिर पंच केदार में से एक है और पंच केदारों में यह दूसरे नंबर पर आता है। यह पंच केदारों में सबसे ऊंचाई पर स्थित है। 3,680 मीटर की ऊंचाई पर बना यह मंदिर हजार वर्ष से भी अधिक पुराना माना जाता है। बता दें कि चोपता समुद्र स्थल से यह 12000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है जहां से 3 किलोमीटर की पैदल यात्रा करने के बाद 13000 फुट की ऊंचाई पर यह तुंगनाथ मंदिर है।वहीं रुद्रप्रयाग जिलाधिकारी वंदना सिंह के मुताबिक मंदिर परिसर के 500 वर्ग फीट क्षेत्रफल में राजस्थान से मंगवाए गए कटप्पा पत्थर लगाए जा रहे हैं। इसको लगाने के बाद मंदिर परिसर की सुंदरता और भी अधिक निखर जाएगी। मंदिर और भी अधिक आकर्षक और सुंदर हो जाएगा।