उत्तराखंड देहरादूनHarak Singh Rawat decisions changed

उत्तराखंड: हरक सिंह पर पलटवार, सारे फैसले पलटे..चहेतों की भी ‘विदाई’

डॉ. हरक सिंह को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद उनके चहेतों को भी विदाई दी जा रही है। बोर्ड में 45 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिल रहा, इसकी भी छानबीन की जाएगी। आगे पढ़िए पूरी खबर

Harak Singh Rawat: Harak Singh Rawat decisions changed
Image: Harak Singh Rawat decisions changed (Source: Social Media)

देहरादून: श्रम मंत्री हरक सिंह रावत उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष पद से हटाए जाने से नाराज हैं। पहले तो बीजेपी के वरिष्ठ नेताओं ने उन्हें मनाने की कोशिशें की। कई दिन तक डैमेज कंट्रोल की कवायद चलती रही, लेकिन बिफरे हरक सिंह रावत नहीं माने। अब राज्य की बीजेपी नेतृत्व वाली सरकार साम, दाम, दंड-भेद की नीति पर चल चुकी है। श्रम मंत्री हरक सिंह रावत की अध्यक्षता वाले पुराने बोर्ड के सारे फैसले पलट दिए गए। इसके अलावा हरक सिंह के लिए एक और चिंता बढ़ाने वाली खबर है। बोर्ड में 45 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिल रहा। ऐसे में स्पेशल ऑडिट कराए जाने की संस्तुति की गई है। डॉ. हरक सिंह को अध्यक्ष पद से हटाए जाने के बाद उनके चहेतों को भी विदाई दी जा रही है। उत्तराखंड कर्मकार कल्याण बोर्ड से शनिवार को पूर्व अध्यक्ष डॉ. हरक सिंह रावत के कार्यकाल में नियुक्त 40 कर्मचारियों की सेवा खत्म कर दी गई। कर्मकार बोर्ड में पिछले दो सालों में उपनल और पीआरडी के जरिए 40 से अधिक कर्मचारी नियुक्त किए गए थे। इन पदों को भरने के लिए वित्तीय विभाग की सहमति नहीं ली गई थी। इसके अलावा बोर्ड में समन्वयक के तौर पर सेवाएं दे रहे विजय सिंह चौहान भी कार्यमुक्त कर दिए गए। आगे भी पढ़िए

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अपर मुख्य कार्याधिकारी अशोक वाजपेई की सेवाएं भी समाप्त कर दी गई हैं। वाजपेई सेवानिवृत्त होने के बाद भी पद पर जमे हुए थे। बोर्ड सचिव दमयंती रावत पहले ही हटाई जा चुकी हैं। शनिवार को अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल के नेतृत्व में नवगठित बोर्ड की बैठक हुई। जिसमें बोर्ड में बदलाव संबंधी जरूरी फैसले लिए गए। इस दौरान वित्तीय रिपोर्ट में बताया गया कि बैंक एफडी के आधार पर बोर्ड के पास करीब 85 करोड़ रुपये होने चाहिए थे। जबकि करीब 40 करोड़ रुपये ही बोर्ड के पास दिखाए गए हैं। 45 करोड़ रुपयों का हिसाब नहीं मिल रहा। इसकी छानबीन के लिए अब स्पेशल ऑडिट कराया जाएगा। बोर्ड ने कोटद्वार का कैम्प कार्यालय और प्रदेश भर में अलग-अलग जगहों पर खोले गए वर्कर फैसिलिटी सेंटर भी बंद करने का निर्णय लिया है। ये सेंटर मजदूरों के पैसे से संचालित किए जा रहे थे।