उत्तराखंड चमोलीRecognition of Hanuman Chatti on Badrinath Marg

देवभूमि उत्तराखंड का वो पवित्र स्थल..जहां हनुमान जी ने तोड़ा था महाबली भीम का घमंड

हनुमान जी भीम को अपने विशालकाय स्वरूप का दर्शन कराते हैं और इस लीला के माध्यम से भीम के घमंड को चूर चूर कर देते हैं।

Badrinath Hanuman Chatti: Recognition of Hanuman Chatti on Badrinath Marg
Image: Recognition of Hanuman Chatti on Badrinath Marg (Source: Social Media)

चमोली: देवभूमि उत्तराखंड में कदम कदम पर देवताओं का वास माना जाता है। यहां कई मान्यताएं और कई कहानियां ऐसी हैं जिन्हें सुनकर आज भी रोंगटे खड़े हो जाते हैं। आज हम आपको जिस स्थान के बारे में बता रहे हैं वह है श्री हनुमान चट्टी। यहां महाबली भीम और पवन पुत्र हनुमान की रोचक तरीके से भेंट हुई थी। बदरीनाथ के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल ने बताया कि एक बार ईशान कोण से अकस्मात वायु चली और सूर्य के समान तेजस्वी एक दिव्य ब्रह्मकमल गंगा में बहता हुआ पांडवों की ओर पहुंचा। उस कमल को देखकर द्रोपदी अत्यंत प्रसन्न हुई और उन्होंने पांडवों से अन्य ब्रह्मकमल लाने की अपनी इच्छा प्रकट की। महाभारत के वनपर्व अध्याय 146 में इस बात का वर्णन भी है। महाबली भीम उस ब्रह्मकमल को लेने के लिए बदरी वन में प्रवेश करते हैं और रास्ते में एक विशालकाय वानर को पड़ा हुआ देखते हैं। विशालकाय वानर की पूंछ से मार्ग अवरूद्ध था। आगे पढ़िए

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भीम उस विशालकाय मानव को मार्ग से हटने के लिए कहते हैं लेकिन वह वानर कहता है कि बुढ़ापे के कारण मुझ में उठने के लिए वक्त नहीं रही। इसलिए दया करके इसको हटा दो और चले जाओ। भीम कई कोशिशें करते हैं लेकिन उनकी पूंछ हिला पाना भीम के सामर्थ्य से बाहर हो जाता है। तब भी समझ जाते हैं कि यह कोई सामान्य वानर नहीं है। उसके बाद हनुमान जी भीम को अपने विशालकाय स्वरूप का दर्शन कराते हैं और इस लीला के माध्यम से भीम के घमंड को चूर चूर कर देते हैं। तभी से इस स्थान को हनुमान चट्टी के नाम से जाना जाता है शीतकाल में जब भगवान बदरीनाथ के कपाट 6 माह के लिए बंद हो जाते हैं तो हनुमान चट्टी से ऊपर धार्मिक कार्यों के लिए मनुष्य पर प्रतिबंध लग जाता है। शास्त्रों में उसे विष्णु द्रोही कहा गया जो इस स्थान को पार कर शीतकाल में धार्मिक क्रियाकलापों के लिए बदरीनाथ जाते हैं। कहा जाता है कि सतयुग में राजा मरुत ने इस स्थान में यज्ञ किया था जिसके अवशेष आज भी हनुमान चट्टी के पास एक टीले पर दिखाई देते हैं। कहा जाता है कि श्री बदरीनाथ धाम में प्रवेश से पहले हनुमान चट्टी पर माथा टेकना आवश्यक है।
श्री बदरीनाथ धाम के धर्माधिकारी आचार्य भुवन चंद्र उनियाल के फेसबुक पेज से साभार