उत्तरकाशी: उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्र दुर्लभ जीवों का घर हैं। यहां जैव विविधता के लिहाज से अच्छे संकेत मिल रहे हैं। अब एक अच्छी खबर उत्तरकाशी जिले से आई है। जहां गंगोत्री नेशनल पार्क में दुर्लभ जीवों की मौजूदगी के सबूत मिले हैं। कुछ वक्त पहले यहां दुर्लभ स्नो लेपर्ड की मौजूदगी दर्ज की गई थी। अब यहां से दुर्लभ हिमालयी भूरे भालू की तस्वीरें सामने आई हैं। हाल में गंगोत्री नेशनल पार्क में स्नो लेपर्ड की गणना का काम शुरू हुआ है। इस दौरान गंगोत्री नेशनल पार्क के कर्मचारियों ने दुर्लभ स्नो लेपर्ड की आवाजाही के सबूत अपने मोबाइल में कैद किए। यही नहीं रेकी अभियान पूरा होने के बाद जब क्षेत्र में लगाए गए कैमरे खंगाले गए तो उसमें हिमालयी भूरे भालू की तस्वीरें भी दिखाई दीं। गंगोत्री नेशनल पार्क में दुर्लभ स्नो लेपर्ड की मौजूदगी की खबरें सुर्खियों में रहती हैं। यहां स्नो लेपर्ड को कई बार विचरण करते देखा गया। क्षेत्र में स्नो लेपर्ड तो हैं, लेकिन इनकी तादाद कितनी है, इसे लेकर अब तक कोई पुख्ता जानकारी नहीं मिल पाई थी। इनकी संख्या को लेकर जानकारी जुटाने के लिए वन विभाग ने यहां इसी साल स्नो लेपर्ड की गिनती का काम शुरू किया है। 2 नवंबर से गणना का काम शुरू हुआ। आगे पढ़िए
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गणना के पहले चरण में वन विभाग की चार टीमों ने पार्क के नेलांग, गौमुख और केदारताल में रेकी की। इस दौरान हिमालयन स्नो लेपर्ड की आवाजाही को पार्क कर्मचारियों ने अपने मोबाइल में कैद किया। यहां भरल के झुंड भी बड़ी तादाद में देखने को मिले हैं, जो कि स्नो लेपर्ड का मुख्य भोजन है। रेंज अधिकारियों के मुताबिक रेकी का काम पूरा हो गया है। इसके लिए पार्क क्षेत्र में 45 कैमरे लगाए गए थे। जिनमें दुर्लभ जीवों की मौजूदगी दर्ज हुई है। सबसे अहम बात ये है कि लंबे समय बाद क्षेत्र में हिमालयी भूरे भालू की तस्वीरें भी देखने को मिली हैं, जो कि जैव विविधता के लिहाज से अच्छा संकेत है। दुर्लभ भूरा भालू उच्च हिमालयी क्षेत्रों में करीब 3000 मीटर से 5000 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। इसे दुनियाभर में मांसाहारी जीवों में सबसे बड़ा जीव माना जाता है। वहीं स्नो लेपर्ड हिमालय के 3 हजार मीटर की ऊंचाई में पाया जाने वाला दुर्लभ वन्य जीव है, जिसके संरक्षण के लिए विश्व स्तर पर योजनाएं चलाई जा रही हैं। स्नो लेपर्ड के क्षेत्र में लगातार दिखने से पार्क प्रशासन काफी उत्साहित है।