नैनीताल: कैंसर। एक ऐसी घातक बीमारी जो इंसान को सिर्फ शारीरिक ही नहीं मानसिक रूप से भी तोड़ कर रख देती है। इस बीमारी से आम से लेकर खास तक कोई भी अछूता नहीं रहा है। कैंसर से बचना जितना जरूरी है, उतना ही जरूरी इस घातक बीमारी से सचेत रहना भी है। आज हम आपको उत्तराखंड के एक ऐसे होनहार क्रिकेटर के बारे में बताएंगे जिन्होंने कैंसर जैसी बीमारी से हंसते-हंसते जंग जीती और इस जानलेवा बीमारी को मात देकर क्रिकेट के क्षेत्र में शानदार पारी की शुरुआत की। इनका नाम है क्रिकेटर कमल कन्याल। जिनकी कहानी क्रिकेटर युवराज सिंह जैसी है।
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नैनीताल जिले के रहने वाले कमल का बचपन सामान्य बच्चों की तरह गुजरा। वो स्कूल जाते थे, दोस्तों संग क्रिकेट खेलते थे। फिर एक दिन पता चला कि उनको कैंसर है। उस वक्त कमल की उम्र सिर्फ 14 साल थी। रिपोर्ट आते ही कमल के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। परिजन कमल को नोएडा ले गए। वहां एक साल तक इलाज चला। अपनी हिम्मत से कमल ने कैंसर जैसी बीमारी को मात दी और एक बार फिर अपनी मंजिल को पाने के लिए मेहनत करने लगे। आज कमल रणजी ट्रॉफी तक का सफर तय कर चुके हैं। रणजी मैच में उन्होंने दोहरा शतक जमाने जैसा कारनामा भी किया है। लेफ्ट हैंड से बल्लेबाजी करने वाले कमल को पहले स्टेज का ब्लड कैंसर था। कैंसर की पुष्टि होने के बाद उन्हें एक साल तक क्रिकेट से दूर रहना पड़ा।
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बाद में वो कैंसर को हराकर फिर से क्रिकेट की प्रैक्टिस में जुट गए। कमल उत्तराखंड के लिए कई मैच जिताऊ पारियां खेल चुके हैं। 18 साल के कमल कन्याल ने महाराष्ट्र के खिलाफ रणजी ट्रॉफी में डेब्यू करते हुए पहला शतक जड़ा था। कमल मूलरूप से सितारगंज के नलई गांव के रहने वाले हैं। उनके पिता उमेश कन्याल कुमाऊं रेजीमेंट से रिटायर्ड हैं। कमल का परिवार हल्द्वानी के गौलापार क्षेत्र में रहता है। होनहार कमल ने वीनू मांकड़ अंडर-19 में भी शानदार प्रदर्शन किया था। जिसके चलते उत्तराखंड की टीम जीतने में कामयाब रही। कैंसर जैसी बीमारी को हराने वाले होनहार कमल आज सभी को जीतने का जज्बा दे रहे हैं।