चमोली: प्राकृतिक आपदा के लिहाज से उत्तराखंड बेहद संवेदनशील राज्य है। रविवार को चमोली में आई आपदा ने एक बार फिर पुराने जख्म हरे कर दिए। रविवार को ग्लेशियर के टूटने के बाद अलकनंदा और इसकी सहायक नदियों में अचानक विकराल बाढ़ आ गई। इस आपदा में 150 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है। दस से ज्यादा शव बरामद किए जा चुके हैं। चलिए आपको उत्तराखंड में अब तक आई पांच बड़ी आपदाओं के बारे में बताते हैं। जिन्हें याद कर आज भी प्रदेशवासियों की आंखें नम हो जाती हैं।
उत्तरकाशी भूकंप- साल 1991
साल 1991 में उत्तरकाशी में हुई भूकंप त्रासदी को कभी भुलाया नहीं जा सकता। 20 अक्टूबर की रात उत्तरकाशी की धरती अचानक कांप गई। इस भूकंप की तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 6.6 आंकी गई। इस विनाशकारी भूकंप ने जहां पूरे देश को हिला कर रख दिया था। वहीं सबसे ज्यादा जनहानि भटवाड़ी ब्लॉक के जामक गांव में हुई थी। कई लोग उस काली रात को याद कर आज भी सिहर जाते हैं। वो इस जख्म को कभी नहीं भूल सकते। उत्तरकाशी में आए भूकंप में 652 से ज्यादा लोगों की जान गई थी।
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चमोली भूकंप- साल 1999
उत्तरकाशी में हुई तबाही के बाद साल 1999 में उत्तराखंड का चमोली जिला भूकंप त्रासदी का गवाह बना। यहां 29 मार्च 1999 में जबर्दस्त भूकंप आया। उस वक्त उत्तराखंड सीमावर्ती राज्य उत्तर प्रदेश का हिस्सा था। इस भूकंप ने भी क्षेत्र में जमकर तबाही मचाई। भूकंप के चलते 103 लोग मारे गए। भवनों को भी खासा नुकसान हुआ। यह भूकंप हिमालय की तलहटियों में 90 वर्षों के भीतर आया सबसे शक्तिशाली भूकंप था।
उत्तरकाशी वरुणावत पर्वत भूस्खलन- 2003
साल 2003 में वरुणावत पर्वत में हुए भूस्खलन ने उत्तरकाशी का भूगोल ही बदल डाला था। वरुणावत पर्वत समुद्रतल से 1650 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। सितंबर 2003 में इस पर्वत के दरकने की वजह से हजारों लोग बेघर हो गए थे। छह सौ से ज्यादा इमारतों के साथ ही दस करोड़ से ज्यादा की संपत्ति का नुकसान हुआ था।
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केदारनाथ आपदा- 2013
केदारनाथ आपदा की भीषण त्रासदी को याद करके आज भी लोग सिहर जाते हैं। सोलह व सत्रह जून को बारिश, बाढ़ और भूस्खलन की घटनाओं ने रुद्रप्रयाग, चमोली, उत्तरकाशी, बागेश्वर, अल्मोड़ा, पिथौरागढ़ जिलों में भारी तबाही मचाई। आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए। 4,200 से ज्यादा गांवों का संपर्क टूट गया। 11,091 से ज्यादा मवेशी बाढ़ में बह गए या मलबे में दबकर मर गए। हजारों भवनों, सड़कों और पुलों का नामों-निशान मिट गया।
चमोली आपदा- 2021
रविवार को ग्लेशियर फटने के बाद चमोली में हुई तबाही ने केदारनाथ जलप्रलय की याद दिला दी। ग्लेशियर फटने के बाद बांध क्षतिग्रस्त हुआ। जिससे नदियों में बाढ़ आ गई। इस दर्दनाक हादसे में 100 से 150 लोगों के बहने की आशंका है। भारतीय सेना, आईटीबीपी और वायु सेना समेत तमाम एजेंसियां बचाव कार्य में जुटी हुई हैं। अब तक दस शव बरामद कर लिए गए हैं। इस आपदा में कम से कम 150 लोगों के मारे जाने की आशंका जताई जा रही है। पीएम मोदी भी उत्तराखंड के हालात पर नजर बनाए हुए हैं।