चमोली: इस वक्त पूरा उत्तराखंड सदमे में है। चमोली में ग्लेशियर टूटने के बाद आई आपदा ने देश के हर इंसान को झकझोर दिया। पूरा देश घटनास्थल पर लोगों की सुरक्षा के लिए प्रार्थना कर रहा है। रैणी गांव के नजदीक ऋषिगंगा में आए उफान से मची तबाही ने केदारनाथ जलप्रलय के घाव ताजा कर दिए। हाईड्रो प्रोजेक्ट का बांध टूटने की वजह से यहां हर जगह तबाही के निशान नजर आ रहे हैं। ऋषि गंगा पावर प्रोजेक्ट पूरी तरह से बर्बाद हो गया है। आपदा की सूचना के तुरंत बाद क्षेत्र में बचाव अभियान शुरू कर दिया गया था। अब तक मिली सूचना के अनुसार क्षेत्र से दस शव बरामद किए जा चुके हैं। इसके अलावा 25 लोगों को बचाव टीमों ने रेस्क्यू कर लिया। कल रात बारिश और पानी बढ़ने से रेस्क्यू ऑपरेशन में बाधा आई, लेकिन सुबह पौ फटने के साथ ही जिंदगियों को बचाने का सिलसिला एक बार फिर शुरू हो गया।
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बचाव अभियान लगातार जारी है। क्षेत्र में 153 लोगों के लापता होने की खबर है। माना की हर ओर निराशा है, लेकिन क्षेत्र से मौत पर जीत हासिल करने वाले लोगों की कहानियां भी सामने आ रही हैं। बचाव टीमें देवदूत बनकर लोगों की जान बचाने की मुहिम में जुटी हैं। इसी कड़ी में एनटीपीसी की 250 मेगावाट की तपोवन-विष्णुगाड जल विद्युत परियोजना में काम कर रहे 12 मजदूरों और कर्मचारियों को बचाया गया। हिंदुस्तान कंस्ट्रक्शन कंपनी के ये मजदूर और कर्मचारी आपदा के दौरान साढ़े छह घंटे तक टनल में फंसे रहे। जिन्हें आईटीबीपी की टीम ने रेस्क्यू किया। इन सबका आईटीबीपी अस्पताल, जोशीमठ में इलाज चल रहा है। आईटीबीपी और सेना के जवान जान बचाने के मिशन में जुटे हुए हैं। बचाव अभियान जारी है। कहते हैं प्रार्थनाओं में बड़ी ताकत होती है। आप भी लोगों की सलामती के लिए प्रार्थना करें। आपदा को लेकर फैलाई जा रही अफवाहों पर ध्यान न दें।