उत्तराखंड चमोलीChamoli apda story of ajay

चमोली आपदा: एक लाचार भाई की कहानी.."मैं अपनी बहन को क्या जवाब दूं"

अजय नेगी का कहना है कि उनकी बहन बार-बार चमोली के ग्लेशियर हादसे के बाद से लापता हुए अपने पति के बारे में पूछ रही हैं।

Chamoli Disaster: Chamoli apda story of ajay
Image: Chamoli apda story of ajay (Source: Social Media)

चमोली: " बार-बार मेरी बहन फोन करके मुझको पूछ रही है, भैजी जीजाजी कन छीं। ठीक छीन। अब मैं उसको क्या जवाब दूं। उसको कैसे तसल्ली दूं " यह शब्द हैं उत्तराखंड के अजय नेगी के। हाल ही में चमोली जिले में आई प्राकृतिक आपदा के बाद कई लोगों के घरों के चिराग मिट गए। देखते ही देखते सब कुछ पल भर में तबाह हो गया और ना जाने कितने ही लोग ऐसे हैं जो अब भी लापता हो रखे हैं और कई लोग मौत के मुंह में समा चुके हैं। आपदा प्रभावित लोगों के परिजनों की इसी भीड़ में गुमसुम खड़े हुए हैं अजय नेगी। अजय नेगी के परिवार के ऊपर भी आसमान टूट पड़ा है। बता दें कि उनके जीजा जी सत्यपाल बर्त्वाल वहां पर इलेक्ट्रीशियन के रूप में तैनात थे। रविवार को आई बाढ़ में उनके जीजा जी सत्यपाल भी लापता हो रखे हैं। ग्लेशियर के टूटने से नदी में आए उफान में वहां पर मौजूद कई लोग जल प्रलय में बह निकले। उन्हीं लोगों में शामिल हैं सत्यपाल बर्त्वाल और उनका भी तक कोई भी सुराग नहीं मिल पाया है जिसके बाद से अजय नेगी बेहद चिंता में आ रखे हैं।

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मूल रूप से पोखरी मसोली गांव के रहने वाले अजय नेगी ने बताया कि महज ढाई साल पहले ही उनकी बहन का विवाह उनके जीजा जी सत्यपाल से हुआ था। चमोली में ग्लेशियर टूटने के दौरान उनके जीजाजी अपनी ड्यूटी पर थे। नदी पर उफान आया और उनके जीजा जी भी जल प्रवाह में बह गए। अब सत्यपाल का कोई भी सुराग नहीं मिल पा रहा है। बार-बार उनकी बहन फोन करके अपने पति का हाल चाल जानना चाह रही हैं, मगर वह किस मुंह से उनको बताएं कि अभी तक उनके पति का सुराग नहीं मिल पाया है। उनके चेहरे के सामने बार-बार अपने डेढ़ वर्ष के मासूम भांजे का चेहरा घूमने लगता है। उनको यही डर लग रहा है कि अगर कुछ अनहोनी हो गई तो इस डेढ़ वर्ष के मासूम बच्चे के ऊपर आखिर क्या बीतेगी। वे कहते हैं कि मेरी बहन बार-बार फोन करके मुझको पूछ रही है मगर मैं उसको क्या बताऊं कि कुदरत ने जाने किस जन्म का बदला हम से लिया है। उनका कहना है वे भगवान से बस यही प्रार्थना कर रहे हैं कि उनके जीजा जी सकुशल मिल जाएं।

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वही बाढ़ से बाल-बाल बचे ताराचंद भी जब इस पूरे मंजर को याद करते हैं तो उनकी आंखों में खौफ पसर जाता है और उनको वे तमाम चीख-पुकार याद आ जाती हैं जो उन्होंने हादसे के वक्त सुनी थीं। ताराचंद तपोवन प्रोजेक्ट में मोटर ऑपरेटर के रूप में नियुक्त थे। घटना वाले दिन वे साइट से कुछ ऊंचाई वाले क्षेत्र में मोटर चला रहे थे। वे बताते हैं कि अचानक ही मैंने धमाके की आवाज सुनी। ऐसी तेज आवाज जो शायद उन्होंने जीवन में कभी भी नहीं सुनी थी। जब मैंने सामने देखा तो मेरे होश उड़ गए। उन्होंने बताया कि सामने अचानक नदी उफान पर आ गई और एक बड़ी नहर के साथ सब कुछ पल भर में तबाह हो गया उन्होंने नीचे काम करने वाले लोगों को आवाज देकर आगाह करने की कोशिश की मगर शोर इतना ज्यादा था कि किसी को उनकी आवाज सुनाई नहीं दी और जब तक लोग कुछ भी समझ पाते तब तक पानी ने उनको अपनी चपेट में ले लिया। आज एक पुलिसकर्मी समेत चार शव बरामद हुए हैं। फिलहाल आपदा के दौरान लापता हुए 174 लोगों का अभी तक पता नहीं लग सका है और एसडीआरएफ एनडीआरएफ और आईटीबीपी के जवानों द्वारा रेस्क्यू ऑपरेशन युद्धस्तर पर जारी है।