चमोली: कुमाऊं का खूबसूरत पहाड़ी जिला अल्मोड़ा। ये क्षेत्र खुद में हजारों साल का इतिहास समेटे हुए है। इस जगह पर कत्यूरी और चंद शासकों का राज रहा। कुमाऊं की लोककथाओं में इस जगह का जिक्र देवताओं की राजधानी के तौर पर मिलता है। यहां जगह-जगह इतिहास के सबूत बिखरे पड़े हैं, जो कि समय-समय पर सामने आते रहते हैं। हाल में चौखुटिया के लखनपुर क्षेत्र में भी एक पौराणिक सुरंग मिली है। लखनपुर क्षेत्र बैराठ नगरी के कत्यूरी राजाओं की राजधानी के तौर पर मशहूर है। यहां गुजरे वक्त के वैभव को बयां करती एक अनोखी सुरंग मिली है। जिसके अंदर सीढ़ियां, रोशनदार और देवी-देवाताओं की मूर्तियां हैं। माना जा रहा है कि सुरंग का निर्माण 12वीं सदी में कराया गया होगा, तब लखनपुर कत्यूरी राजाओं की राजधानी हुआ करता था। कहते हैं यहां ऐसी और भी सुरंगें हैं, जो अब बंद हो गई हैं।
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पिछले दिनों यहां उड़लीखान-आगर मनराल रोड का निर्माण चल रहा था, तभी इतिहास का अनोखा खजाना सामने आ गया। सुरंग प्राचीन लखनपुर किले के पास मिली है। कहते हैं कि ये सुरंग कभी डेढ़ किमी लंबी थी। जिसका दायरा सिमटकर 40-50 मीटर रह गया है। सुरंग के भीतर कई कलाकृतियां बनी हुई हैं। लखनपुर में 8वीं और नवीं शताब्दी में बनी मूर्तियां भी मिल चुकी हैं। अब यहां पुरातात्विक महत्व की सुरंग मिली है। इतिहासकारों के मुताबिक बैराठ नगरी में कत्यूरी राजाओं की एक शाखा ने राज किया था। लखनपुर उनकी राजधानी रही। इसके अवशेष आज भी वहां मौजूद हैं। क्षेत्रीय पुरातत्व इकाई के प्रमुख डॉ. चंद्र सिंह चौहान ने कहा कि सदियों पुरानी सुरंग का मिलना पर्यटन विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यहां खोज का काम जारी रहेगा। इसके लिए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग नई दिल्ली से पत्राचार किया जा रहा है।