उत्तराखंड हरिद्वारUttarakhand police jawan dead body found n car

उत्तराखंड पुलिस ने हद कर दी, बिस्तरबंद में लपेटकर भेज दिया साथी का शव

कुंभ ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अपने एक साथी के साथ उत्तराखंड पुलिस ने ऐसा व्यवहार किया, जिसने संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दीं।

Uttarakhand police: Uttarakhand police jawan dead body found n car
Image: Uttarakhand police jawan dead body found n car (Source: Social Media)

हरिद्वार: खुद को जनता का मित्र बताने वाली उत्तराखंड पुलिस अपने ही एक साथी के साथ मित्रता नहीं निभा सकी। कुंभ ड्यूटी के दौरान जान गंवाने वाले अपने एक साथी के साथ उत्तराखंड पुलिस ने ऐसा व्यवहार किया, जिसने संवेदनहीनता की सारी हदें पार कर दीं। सोशल मीडिया पर उत्तराखंड पुलिस को कोसा जा रहा है। जान गंवाने वाले सिपाही के परिजन भी सदमे में हैं। उत्तराखंड पुलिस ने ऐसा किया क्या है, ये भी बताते हैं। दरअसल रायवाला में रहने वाले एक सिपाही की ड्यूटी के दौरान मौत हो गई थी। कायदे से उत्तराखंड पुलिस को पूरे सम्मान के साथ सिपाही का शव उसके घर तक पहुंचाना था, लेकिन आरोप है कि उसका शव बिस्तर बंद में लपेटकर उसके घर भेज दिया गया। सिपाही के परिजन पहले ही सदमे में थे, उस पर पुलिस की संवेदनहीनता ने उनके दर्द को और बढ़ा दिया।

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मरने वाले सिपाही का नाम गणेशनाथ था। बागेश्वर के गरूड़, रामपुर क्षेत्र के रहने वाले गणेशनाथ पहले नैनीताल में तैनात थे। कुछ समय पहले उनकी ड्यूटी कुंभ मेले में लग गई। इस दौरान गणेशनाथ रायवाला में होटल में कमरा लेकर रहते थे। 28 मार्च को गणेशनाथ का शव कार में पड़ा मिला। डॉक्टरों ने बताया कि हार्ट अटैक की वजह से मौत हुई है। 30 मार्च को जब गणेशनाथ का पार्थिव शरीर गांव पहुंचा तो शव की हालत देख परिजन दुख से तड़प उठे। शव ताबूत की जगह बिस्तर बंद में लपेटकर लाया गया था। तीन दिनों तक बिस्तरबंद में पैक रहने की वजह से शव डिकम्पोज होने लगा था। शव की हालत ऐसी थी कि परिजनों समेत कोई भी गणेशनाथ के अंतिम दर्शन नहीं कर सका। परिजनों में उत्तराखंड पुलिस के रवैये को लेकर गुस्सा है। उन्होंने इस घटना को बेहद शर्मनाक बताया।

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सिपाही गणेशनाथ के पिता और चाचा भी पुलिस में थे। गणेश की पत्नी और भाई भी पुलिस में तैनात हैं। ग्रामीणों का कहना है कि उत्तराखंड पुलिस अपने साथी को एक ताबूत तक उपलब्ध नहीं करा पाई। जब शहीद सैनिकों के शव कई-कई दिन बाद गांव पहुंचते हैं तो शव सुरक्षित रहता है, लेकिन उत्तराखंड पुलिस ने तो संवेदनहीनता की हर पराकाष्ठा ही पार कर दी। वहीं आरोपों को लेकर पुलिस अधिकारियों का कहना है कि शव पूरे सम्मान के साथ पहुंचाया गया था। हो सकता है गर्मी की वजह से बॉडी डिकम्पोज हो गई हो। डीआईजी लॉ एंड ऑर्डर एवं पुलिस हेडक्वार्टर के प्रवक्ता नीलेश आनंद भरणे ने बिस्तर बंद में बॉडी भेजे जाने से इनकार किया है।