उत्तराखंड नैनीतालWriter Diwakar Bhatt dies

उत्तराखंड से दुखद खबर..साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर दिवाकर भट्ट नहीं रहे. कोरोना से निधन

वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार दिवाकर भट्ट दुनियाभर में हिंदी के प्रचार की अलख जगाए हुए थे। हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।

Diwakar Bhatt Coronavirus: Writer Diwakar Bhatt dies
Image: Writer Diwakar Bhatt dies (Source: Social Media)

नैनीताल: कोरोना काल में हर दिन किसी न किसी बड़ी हस्ती के हमारे बीच से गुजर जाने की खबर आ रही है। सोमवार को एक बुरी खबर नैनीताल जिले से आई। यहां वरिष्ठ साहित्यकार और पत्रकार दिवाकर भट्ट का निधन हो गया। वो कोरोना संक्रमण से जूझ रहे थे। उनका निजी अस्पताल में इलाज चल रहा था। दिवाकर भट्ट दो हफ्ते से अस्पताल में भर्ती थे। सोमवार को वो कोरोना से जंग हार गए, उनके निधन का समाचार मिलते ही साहित्य और पत्रकारिता जगत में शोक छा गया। दिवाकर भट्ट उन लोगों में से थे, जो देश-दुनिया में हिंदी के प्रचार की अलख जगाए हुए थे। 59 साल के दिवाकर भट्ट कई समाचार पत्रों में लंबे समय तक काम करते रहे। सक्रिय पत्रकारिता के साथ ही वो साहित्य के क्षेत्र से भी जुड़े हुए थे। दिवाकर बीते 36 वर्षों से कला, संस्कृति और साहित्य पर आधारित आधारशिला पत्रिका का संपादन कर रहे थे। वो हिंदी को संयुक्त राष्ट्र की भाषा बनाए जाने के प्रयास में जुटे थे।

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दिवाकर भट्ट आधारशिला विश्व हिंदी मिशन और अंतरराष्ट्रीय हिंदी परिषद के संयोजक भी थे। हिंदी भाषा को प्रोत्साहन देने के लिए उन्होंने बैंकॉक, मॉरीशस, सिंगापुर, वियतनाम, हंगरी, उज्बेकिस्तान, स्विट्जरलैंड और फ्रांस समेत कई देशों में हिंदी सम्मेलन का आयोजन किया। उन्होंने विदेश में रहने वाले भारतीयों की पुस्तकें भी प्रकाशित की। बीते 18 अप्रैल को उनके कोरोना पॉजिटिव होने की खबर आई। जिसके बाद उन्हें नीलकंठ अस्पताल में एडमिट कराया गया, लेकिन उनकी हालत में सुधार नहीं हो रहा था। सोमवार को दिवाकर भट्ट कोरोना से जंग हार गए। दिवाकर अपने पीछे पत्नी, एक बेटा और बेटी को बिलखता छोड़ गए हैं। देश-दुनिया के साहित्यकारों और पत्रकारों ने उनके असामायिक निधन पर शोक जताया। हिंदी साहित्य और पत्रकारिता के क्षेत्र में उनके योगदान को हमेशा याद किया जाएगा।