उत्तराखंड रुद्रप्रयागthrone of God Madmaheshwar changed the

रुद्रप्रयाग: दशकों के बाद नए सिंहासन पर विराजे भगवान मद्महेश्वर..बना 11 किलो चांदी का सिंहासन

ये मौका इसलिए बेहद खास रहा, क्योंकि भगवान मद्महेश्वर का सिंहासन पूरे सौ साल बाद बदला गया है। नए सिंहासन को कर्नाटक में तैयार किया गया, इसे बनाने में साढ़े 11 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया है।

Madamaheshwar: throne of God Madmaheshwar changed the
Image: throne of God Madmaheshwar changed the (Source: Social Media)

रुद्रप्रयाग: पंच केदारों में द्वितीय केदार के रूप में पूजे जाने वाले भगवान मद्महेश्वर अब नए सिंहासन पर विराजेंगे। भगवान मद्महेश्वर के चांदी के पुराने सिंहासन को बदल कर उन्हें नए सिंहासन पर विराजमान किया गया है। ऊखीमठ में गुरुवार को पंचकेदार गद्दीस्थल ओंकारेश्वर मंदिर के गर्भगृह से द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर को उनके धाम प्रस्थान के लिए सभा मंडप में लाया गया। इस अवसर पर भगवान को साढ़े ग्यारह किलो चांदी से बने सिंहासन पर विराजमान किया गया। ये मौका इसलिए बेहद खास रहा, क्योंकि भगवान मद्महेश्वर का सिंहासन पूरे सौ साल बाद बदला गया है। पुजारी टी गंगाधर लिंग के प्रयासों से भगवान मद्महेश्वर के लिए कर्नाटक राज्य के उढ़ती में खास तौर पर नया सिंहासन बनवाया गया। सिंहासन को यहीं पर पूजा-अर्चना, अभिषेक और हवन से शुद्ध किया गया। एक हफ्ते पहले इस सिंहासन को कर्नाटक से ऊखीमठ लाया गया था।

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गुरुवार को विधि-विधान से सिंहासन का शुद्धिकरण कर भगवान को इसमें विराजमान किया गया। यह सिंहासन साढ़े ग्यारह किलो शुद्ध चांदी से बना है। इस संबंध में केदारनाथ के रावल भीमाशंकर लिंग ने बताया कि द्वितीय केदार भगवान मद्महेश्वर का पुराना सिंहासन सौ साल से अधिक पुराना है। ये तत्कालीन रावल नीलकंठ जी महाराज के समय बना था। उस वक्त सिंहासन को बनाने में 8 किलो चांदी का इस्तेमाल किया गया था। अब भगवान को नया सिंहासन अर्पित किया गया है। आपको बता दें कि भगवान मद्महेश्वर धाम के कपाट 24 मई को खोल दिए जाएंगे। इससे पहले ओंकारेश्वर मंदिर से भगवान की उत्सव डोली यात्रा निकाली जाएगी। मंगोलीचारी तक डोली पैदल जाएगी, जिसके बाद डोली को रांसी तक वाहन से ले जाया जाएगा। उत्सव डोली रांसी से गोंडार और सोमवार को गोंडार से मद्महेश्वर धाम के लिए रवाना होगी। जहां पर 24 मई को प्रातः साढ़े 11 बजे मंदिर के कपाट श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए जाएंगे। डोली के साथ जाने के लिए प्रशासन द्वारा 20 लोगों को अनुमति दी गई है। कपाट खोलने की सभी तैयारियां पूरी कर ली गई हैं।