उत्तराखंड देहरादून7 people died due to black fungus disease in Uttarakhand

सावधान रहें: उत्तराखंड में ब्लैक फंगस से 7वीं मौत..जानिए क्या हैं इस महामारी के लक्षण

प्रदेश में महामारी घोषित हो चुके ब्लैक फंगस से अब तक 7 लोगों की मौत हो चुकी है। शनिवार को जौलीग्रांट अस्पताल में ब्लैक फंगस से पीड़ित एक और मरीज ने दम तोड़ दिया।

7 people died due to black fungus disease in Uttarakhand: 7 people died due to black fungus disease in Uttarakhand
Image: 7 people died due to black fungus disease in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: कोरोना की दूसरी लहर ने उत्तराखंड को बुरी तरह प्रभावित किया है। कोविड की चपेट में आने वाले लोग रिकवरी के बाद भी न जाने कितनी ही समस्याओं से जूझ रहे हैं। ब्लड क्लॉटिंग के बाद अब मरीजों में ब्लैक फंगस इंफेक्शन की शिकायतें आ रही हैं। यह एक गंभीर बीमारी बताई जा रही है, जिससे व्यक्ति की जान भी जा सकती है। अकेले उत्तराखंड की बात करें तो यहां शनिवार को देहरादून में एक और मरीज ने ब्लैक फंगस के चलते दम तोड़ दिया। मरीज हिमालयन हॉस्पिटल जौलीग्रांट में एडमिट था। अस्पताल में अब तक इस बीमारी से दो मरीजों की मौत हो चुकी है। प्रदेशभर में कुल 7 मरीज ब्लैक फंगस के चलते जान गंवा चुके हैं। अस्पतालों में ब्लैक फंगस से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जौलीग्रांट हॉस्पिटल में फिलहाल 9 मरीज एडमिट हैं, जिन्हें ब्लैक फंगस की शिकायत है। यहां भर्ती होने वाले मरीजों में उत्तराखंड से नौ और उत्तर प्रदेश से छह मरीज शामिल हैं। जौलीग्रांट हॉस्पिटल से ठीक होने वाले 4 मरीजों को डिस्चार्ज किया गया है। एम्स ऋषिकेश में भी म्यूकोर माइकोसिस के कुल 64 मरीज आ चुके हैं, जिनमें से उपचार के दौरान अभी तक पांच लोगों की मौत हो चुकी है। एक मरीज को इलाज के बाद डिस्चार्ज किया जा चुका है। अब एम्स में म्यूकोर माइकोसिस के 58 रोगी भर्ती हैं। बता दें कि उत्तराखंड राज्य में ब्लैक फंगस को अब महामारी घोषित कर दिया गया है। शनिवार को शासन ने इसकी अधिसूचना जारी की है। प्रदेश में ब्लैक फंगस की दवा का संकट है, इसलिए सरकार का पूरा फोकस अब दवा उत्पादन बढ़ाने पर है।

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चलिए आपको बताते हैं कि ब्लैक फंगस से संक्रमित मरीजों के अंदर किस प्रकार के लक्षण दिखाई देते हैं।
1) मरीज को सांस लेने में तकलीफ होती है।
2) मरीज के आंख और कान के पास में दर्द होता है।
3) मरीज की नाक से काला कफ जैसा तरल पदार्थ बाहर निकलता है।
4) मरीज को खून की उल्टी होती है और इसी के साथ में सिर दर्द और बुखार रहता है।
5) मरीजों को सीने में दर्द होता है और इसी के साथ में चेहरे में दर्द और सूजन का एहसास होता है।
6)कई मरीजों की आंखें कमजोर हो जाती हैं और उनको धुंधला दिखाई देता है।
7) मरीजों को दांतों और जबड़ों में ताकत कम महसूस होने लगती है।
8)हालत बिगड़ने पर मरीज बेहोश हो जाता है।
आपको बता दें कि डायबिटिक पेशेंट्स के अंदर इस इंफेक्शन के फैलने का खतरा अधिक रहता है और इसी के साथ में कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों पर भी यह फंगस तेजी से हमला करता है। डॉक्टरों का कहना है की अत्यधिक स्टेरॉयड के कारण भी यह फंगस तेजी से लोगों के बीच में फैल रहा है। इससे बचने का उपाय है कि कोरोना संक्रमित मरीज का खासा ख्याल रखें और सफाई का भी ध्यान दें। चिकित्सा विशेषज्ञों का कहना है कि कोरोना से संक्रमित मरीजों को ब्लैक फंगस से बचाया जा सकता है और इसके लिए आईसीयू एवं घर में भर्ती मरीजों के ऑक्सीजन मास्क की समय-समय पर सफाई करनी चाहिए और इसी के साथ फ्लो मीटर के साथ लगी बोतल के पानी को भी नियमित अंतराल पर बदलना चाहिए। डॉक्टरों का कहना है कि सादे पानी की जगह डिस्टिल्ड वॉटर का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। डॉक्टरों ने इसी के साथ अपने इम्यून सिस्टम को बढ़ाने की सलाह दी है और अनुरोध किया है कि अधिक से अधिक फलों और हरी सब्जियों को अपनी डाइट में शामिल किया जाए और साथ में नियमित रूप से प्राणायाम और योग भी इस इंफेक्शन से बचाने में लाभदायक होते हैं।