उत्तराखंड देहरादूनBk samant new song o baanj

उत्तराखंड: लोकगायक बीके सामंत की नई पेशकश, इस गीत में है एक प्यारा सा संदेश..आप भी देखिए

‘ओ बांज झुपरयाली बांज’ के माध्यम से लोकगायक बीके सामंत प्रकृति को सहेजने और बांज के पेड़ों को बचाने का संदेश दे रहे हैं। आगे देखें वीडियो

Bk samant new song: Bk samant new song o baanj
Image: Bk samant new song o baanj (Source: Social Media)

देहरादून: उत्तराखंड की संस्कृति में पर्यावरण संरक्षण का विशेष स्थान है। हम उस देवभूमि से हैं, जहां पशु-पक्षियों और पेड़ों से प्रेम करना सिखाया जाता है, प्रकृति को सम्मान देना सिखाया जाता है। हाल ही में हमने विश्व पर्यावरण दिवस मनाया, मशहूर लोकगायक बीके सामंत भी लोगों से पर्यावरण संरक्षण की अपील कर रहे हैं, लेकिन जरा अलग अंदाज में। हाल में बीके सामंत का नया गीत ‘ओ बांज झुपरयाली बांज’ यूट्यूब पर रिलीज हुआ है। ये पुराना लोकगीत है, जिसे बीके सामंत नए अंदाज में पेश कर रहे हैं। गीत को गाने से लेकर, लिरिक्स लिखने और म्यूजिक डायरेक्टर तक की जिम्मेदारी बीके सामंत ने निभाई है। म्यूजिक अरेंजर उमर शेख हैं। रिकॉर्डिस्ट देवेंद्र कोश्यारी हैं। गढ़वाल-कुमाऊं वॉरियर्स उत्तराखंड के बैनर तले बने इस गीत के माध्यम से लोकगायक बीके सामंत प्रकृति को सहेजने, बांज के पेड़ों को बचाने का संदेश दे रहे हैं। लोगों को बता रहे हैं कि अगर वृक्ष हैं, तभी मानव है, वरना हमारा अस्तित्व खतरे में है।

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वीडियो दिखाने से पहले आपको बांज के वृक्ष की उपयोगिता भी बताते हैं। चीड़ के वनों की जलधारण क्षमता जहां बेहद कम होती है, वहीं इसके ठीक उलट बहुपयोगी चौड़ी पत्ती प्रजाति वाले बांज के जंगल जल और मृदा संरक्षण में खासे मददगार होते हैं। बांज के जंगल चीड़ वनों की तुलना में ज्यादा पर्यावरणीय सेवाएं देने में सक्षम हैं। यही नहीं पहाड़ में सेंसर की मदद से बहुपयोगी बांज की जलधारण क्षमता का पता लगाने के लिए शोध भी शुरू हो गया है। इस अनुसंधान को वनीकरण व राष्ट्रीय जल नीति के लिहाज से अहम माना जा रहा है। बांज के पेड़ों की वजह से ही पहाड़ भी बचे हुए हैं, ये तो हुई बांज की खूबियां। चलिए अब आपको बीके सामंत की आवाज से सजा गीत दिखाते हैं, इसे देखें साथ ही बांज के संरक्षण में अपना सहयोग भी दें।

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