रुद्रप्रयाग: कोरोना आया और देखते ही देखते इस जानलेवा वायरस ने सबके धंधे चौपट कर दिए। 1 साल से अधिक समय के बाद भी परिस्थितियों नॉर्मल नहीं हो पाई हैं। इसका असर उत्तराखंड के उन व्यापारियों पर भी पड़ा है जिनकी रोजीरोटी चारधाम की यात्रा पर निर्भर रहती है। केवल यात्रा के समय ही उनकी आय होती थी मगर लगातार दूसरे साल भी उनको नुकसान झेलना पड़ रहा है। पिछले साल भी चारधाम की यात्रा स्थगित हो गई थी जिसके बाद व्यापारियों को भारी नुकसान हुआ था। इस वर्ष भी कोरोना की दूसरी लहर के दस्तक देने के बाद केदारघाटी के 4000 कारोबारियों के ऊपर संकट के बादल मंडरा रहे हैं और उनकी आर्थिक स्थिति बेहद खराब हो गई है। केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने कहा है कि यात्रा से जुड़े लोगों की आर्थिक स्थिति चरमरा गई है। चार धाम यात्रा स्थाई तौर पर स्थगित होने से यात्रा पड़ाव पर वर्षों से रोजगार प्राप्त करने वाले व्यापारियों के सामने रोजी-रोटी का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। वहीं सरकार की ओर से भी व्यापारियों को कोई राहत नहीं दी गई है जिस कारण व्यापारी के अंदर केंद्र सरकार और राज्य सरकार को लेकर आक्रोश साफ झलक रहा है। चार धाम की यात्रा अस्थाई तौर पर स्थगित होने से इन सैकड़ों कारोबारियों को घर चलाना बेहद मुश्किल हो गया है। अगर सरकार ने इन व्यापारियों की मदद नहीं की तो भविष्य में त्रासदी मच जाएगी.
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केदारनाथ यात्रा तकरीबन 4000 कारोबारियों की रोजीरोटी चलाती है। यात्रा के स्थगित होने से वर्षों से यात्रा पड़ावों पर रोजगार करते तमाम होटल व्यवसाई, खाने-पीने की दुकान चलाने वाले दुकानदार एवं अन्य लोगों के ऊपर रोजी-रोटी का एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है। उनकी हालत को सरकार भी नहीं समझ रही है और लगातार अनदेखा कर रही है। हालात इस कदर खराब हो चुके हैं कि ये व्यापारी अब अपना बैंक का लोन भी नहीं चुका पा रहे हैं। पिछले साल कोरोना महामारी ने चार धाम यात्रा की कमर तोड़ के रख दी थी। उत्तराखंड की आर्थिकी की रीढ़ चार धाम यात्रा सबसे पहले केदारनाथ आपदा के बाद बुरी तरह प्रभावित हुई थी। बेहद मुश्किल के बाद वहां सब कुछ 2019 में नॉर्मल हुआ और वहां की अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आई। सबको उम्मीद थी कि भोलेनाथ के आशीर्वाद से अब धीरे-धीरे अर्थव्यवस्था फिर से सुधरेगी। यात्रा पर 4000 कारोबारियों की उम्मीदें टिकी हुई थीं। कारोबारियों को उम्मीद थी कि अब संकट के बादल छंट चुके हैं और उन्होंने इसी आस में एक बार फिर से नए व्यवसायिक प्रतिष्ठानों को खोला और बैंकों से भारी कर्ज लिया। मगर अगले ही साल इस महामारी ने दस्तक दे दी और सब कुछ फिर से धरा का धरा रह गया। व्यवसायियों का कारोबार पूरी तरह से ठप हो गया। केवल पिछले साल ही नहीं इस बार भी केदारनाथ यात्रा इस महामारी के कारण स्थगित हो गई है जिसका असर सीधे तौर पर इन कारोबारियों के ऊपर पड़ रहा है। इनके पास रोजगार का और कोई दूसरा जरिया भी नहीं और बैंकों के लोन का ब्याज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
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व्यापारियों की माने तो उनको परिवार का भरण- पोषण करना भी मुश्किल हो रहा है और उनके सामने किश्त जमा करने की चुनौती बनी हुई है। वहीं दूसरी तरफ बैंक उनको लगातार नोटिस भेज रहे हैंम केदारनाथ के सोनप्रयाग, गौरीकुंड, केदार पुरी, गुप्तकाशी में होटल रेस्टोरेंट और ढाबे से जुड़े कारोबार करने वाले तकरीबन 4 हजार से अधिक कारोबारियों में से 85 फीसदी कारोबारियों ने अपना कारोबार स्थापित करने के लिए बैंक से ऋण लिया था मगर 2020 में यात्रा के स्थगित होने से सभी कारोबार पूरी तरह चौपट हो गए और उनको भी लगातार बैंक से किश्त जमा करने के नोटिस मिल रहे हैं। उनका कहना है कि किश्त जमा करना तो दूर की बात है वे अपने परिवार का भरण-पोषण भी बेहद मुश्किल से कर पा रहे हैं। मगर राज्य सरकार केदारनाथ यात्रा के ऊपर आश्रित कारोबारियों के संकट को नजरअंदाज कर रही है। केदारनाथ के विधायक मनोज रावत ने सरकार से यात्रा पर आश्रित कारोबारियों की मदद करने और राहत पैकेज देने की गुहार लगाई है। उन्होंने उत्तराखंड सरकार से यात्रा से जुड़े सभी कारोबारियों को राहत पैकेज जारी करने के साथ ही उनके बैंक ऋण के ब्याज को माफ करने की अपील की है। यात्रा पर निर्भर रहने वाले हजारों परिवारों की आर्थिकी चौपट हो गई है और लोग घरों में बेरोजगार बैठे हुए हैं। बाजारों में सन्नाटा पसरा हुआ है। हर कोई बस यही उम्मीद कर रहा है कि जल्द ही केदारनाथ के कारोबारियों के सिर के ऊपर से यह दुख ओर परेशानी के बादल हटें और सब कुछ फिर से पहले जैसा हो जाए।