उत्तराखंड देहरादूनCM Dhami answer on land law in Uttarakhand

उत्तराखंड भू-कानून के सवाल पर CM धामी का जवाब- लोगों के हित में जो होगा, लागू करेंगे

प्रदेश में भू-कानून और जनसंख्या नियंत्रण कानून लाने पर सीएम धामी का बड़ा बयान, उत्तराखंड के हित में होने वाले कानून को जरूर लाएंगे। पढ़िए पूरी खबर

Uttarakhand Land Law: CM Dhami answer on land law in Uttarakhand
Image: CM Dhami answer on land law in Uttarakhand (Source: Social Media)

देहरादून: वर्तमान में प्रदेश के अंदर भू कानून के मुद्दे ने तूल पकड़ ली है। उत्तराखंड में सामाजिक संगठनों द्वारा सशक्त भू कानून की मांग की जा रही है। सोशल मीडिया पर भू कानून लागू करने को लेकर लोगों ने आंदोलन खोल लिया है। उत्तराखंड के कमजोर भू कानून को हिमाचल प्रदेश जैसा सशक्त करने की मांग की जा रही है। सामाजिक संगठनों से जुड़े कार्यकर्ता भू कानून के मुद्दे पर बात कर रहे हैं। हर कोई इस कानून के समर्थन में आवाज उठा रहा है। इसी बीच उत्तराखंड के नवनियुक्त सीएम पुष्कर सिंह धामी ने एक बड़ा बयान दे दिया है। उन्होंने कहा है कि उत्तराखंड के लोगों के हित में जो भी कानून होगा उस कानून को हम जरूर और जरूर लाएंगे। चाहे वह भू कानून हो या फिर जनसंख्या नियंत्रण कानून। सीएम धामी ने हाल ही में कहा कि उत्तराखंड के जनमानस के लिए जो भी जरूरी होगा उस कानून को हम अमल पर लाएंगे। इसी के साथ उन्होंने कहा कि पुराने फैसले को बदलने से भी वे हिचकिचाएंगे नहीं और उत्तराखंड की जनता और राज्य के हित में जो भी होगा उसके लिए निश्चित तौर पर सख्त कदम उठाए जाएंगे।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: CM धामी ने अफसरों को दिया 30 दिन का टास्क, तय की गई समय सीमा
यह सच है कि उत्तराखंड में हर कोई भू कानून के समर्थन में है और अपनी आवाज उठा रहा है। यह जरूरी भी है। उत्तराखंड में लगातार बाहरी लोग जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं और बड़ी संख्या में पहाड़ों पर जमीनें खरीदी और बेची जा रही हैं जिसका खामियाजा यहां के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। इससे यहां की संस्कृति का विनाश हो रहा है। उत्तराखंड के अंदर हिमाचल की तरह भू कानून की मांग को लेकर पिछले कई सालों से अभियान चल रहा है। पहाड़ों के लोगों का कहना है कि बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड की जमीनों पर कब्जा कर रहे हैं। उत्तराखंड राज्य जब बना तब 2002 तक बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड में केवल 500 वर्ग मीटर तक की जमीन खरीद सकते थे। 2007 में सीमा को 250 वर्ग मीटर कर दिया गया जिसके बाद मुख्यमंत्री तीरथ सिंह रावत ने 6 अक्टूबर 2018 को इस पूरे कानून में दो नई धाराएं जोड़ीं और इन धाराओं के तहत पहाड़ों में भूमि खरीद की अधिकतम सीमा को समाप्त कर दिया गया। इसका मतलब था कि बाहरी राज्यों से उत्तराखंड में कोई भी कहीं पर भी भूमि खरीद सकता है।

ये भी पढ़ें:

यह भी पढ़ें - उत्तराखंड: बेरोजगार युवाओं के लिए अच्छी खबर, समूह-ग में 423 पदों पर भर्ती..पढ़िए पूरी डिटेल
पहाड़ी जिलों में बाहर के लोग सस्ते दामों पर जमीन खरीद रहे हैं और उसको अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। कुल मिला कर राज्य की स्थापना के बाद से अब तक राज्य में एक सशक्त भू कानून लागू नहीं हो पाया है और इसका खामियाजा उत्तराखंड के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। यह सरकार की विफलता है कि हिमाचल प्रदेश के मुकाबले उत्तराखंड का भू कानून बेहद ही कमजोर है और इस को सशक्त करने की मांग लगातार लोगों द्वारा उठाई जा रही है। हिमाचल प्रदेश में बेहद सख्त भू कानून है। वहां पर बाहरी लोगों की जमीन खरीदी पर पूरी तरह रोक लगा रखी है। हिमाचल में कोई भी बाहरी व्यक्ति जमीन नहीं खरीद सकता है। उत्तराखंड को हिमाचल के जैसे एक सख्त भू कानून की जरूरत है जिससे बाहरी राज्यों के लोग उत्तराखंड में घुसपैठ ना कर सकें और उत्तराखंड की संस्कृति को बर्बाद न कर सकें। उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी ने बयान दिया है कि उत्तराखंड के हित में जो भी कानून होगा उसको भाजपा सरकार जरूर लाएगी। भाजपा सरकार इस मुद्दे के ऊपर जोर दे रही है। सत्ताधारी पार्टी होने के कारण भाजपा के पास भू कानून लाने का एक प्लस प्वाइंट है। अगर भाजपा सरकार उत्तराखंड में सशक्त भू कानून ले आती है तो आने वाले चुनाव में भाजपा सरकार को बड़ा फायदा होगा। इसीलिए भू कानून और जनसंख्या नियंत्रण के ऊपर भाजपा सरकार अब जोर दे रही है।